लौंडा नर्तक की अस्मिता सिर्फ नाच और आर्थिक पेशे से संबद्ध नहीं है. यह पुरुष के मन में औरत बनने की दबी आकांक्षा का साहसिक प्रकटीकरण है. एक लौंडा नर्तक अपने नाम, वेश-विन्यास, भाव और भंगिमाओं में पुरुष, औरत और किन्नर, तीनों लैंगिक पहचानों को एक साथ जीता है.