अगर हम आंकड़ों का विश्लेषण करें तो कर्नाटक के संदर्भ में यह कहना गलत होगा कि सिद्दारमैया की जनहितकारी योजनाओं को लेकर लोगों ने सकारात्मक वोट नहीं दिया.
1996 से लेकर अब तक लोकसभा चुनाव में औसतन 235 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के अलावा क्षेत्रीय दलों ने जीत हासिल की है.