समय आ गया है कि सार्वजनिक संवाद का उद्देश्य उत्तम रखा जाए, जो काव्यात्मक कल्पना से प्रेरित हो और साहित्यिक सौंदर्य से ओत-प्रोत हो, जिससे अंतरवैयक्तिक तथा सामाजिक संवाद दोनों ही शालीन हो सकें.
नागरिकों की चेतना को आत्मसमर्पण के लिए भ्रमित करने की बाध्यकारी राजनीति को ख़त्म करने की जरूरत है. जो लोग वैकल्पिक नेतृत्व की बात कर रहे हैं उनके कंधों पर ऐसे ऐतिहासिक मार्ग को चुनने और बनाने के साथ उस पर चलने की बड़ी चुनौती है.