पूरे मुग़ल शासन के दौरान गोरखपुर समेत विभिन्न नाथों को शासकों द्वारा तोहफे और अनुदान प्राप्त हुए हैं. आधिकारिक मंदिर साहित्य भी इस बात की पुष्टि करता है.
आज भले ही योगी आदित्यनाथ सियासी फ़ायदे के लिए संप्रदायों का ध्रुवीकरण करते हों, लेकिन हाल ही में सामने आए दो अप्रकाशित सिद्धांत बताते हैं कि 20वीं शताब्दी से पहले, नाथ संप्रदाय के सदस्य सत्ता पाने के लिए धार्मिक मेलजोल का सहारा लिया करते थे.