जिस तरह कोरोना संक्रमण को काबू करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन पर मोदी सरकार ने कोई तैयारी नहीं की थी, उसी तरह टीकाकरण पर भी उसके पास कोई मुकम्मल रोडमैप नहीं है.
देश का इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पैसे के लिए मोहताज है, लेकिन सरकार हवाई क़िले बनाकर देश को इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के एक्सप्रेस-वे पर दौड़ाने का स्वांग रच रही है. कृषि क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान इसी स्वांग का हिस्सा है.
सूक्ष्म,लघु और मध्यम उपक्रम यानी एमएसएमई क्षेत्र के लिए सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपये के गारंटी फ्री लोन का ऐलान किया है. उम्मीद की जा रही है कि यह बेरोज़गारी के संकट को ख़त्म करने में मददगार साबित होगा और बाज़ार में मांग पैदा करेगा, लेकिन इस क्षेत्र के हालात ऐसे नहीं है कि सिर्फ एक लोन पैकेज से तस्वीर बदल जाए.
चीन में कामगारों के बढ़ते वेतन और अमेरिका के साथ इसके ट्रेड वॉर के बाद कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने वहां से अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ्ट करने शुरू कर दिए थे, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद अप्रैल 2018 से लेकर अगस्त 2019 के बीच ऐसी कंपनियों में से सिर्फ तीन ही भारत आईं.