‘किसानों की क़र्ज़ माफ़ी से अर्थव्यवस्था बिगड़ती है, चंद घरानों का अरबों माफ़ करने से संवरती है’

सरकार को इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि अगर हम अपना कृषि क्षेत्र नहीं बचा पाए तो अर्थव्यवस्था भी नहीं बचा पाएंगे.

फसल अच्छी होने के बावजदू हमारा किसान हताश क्यों है?

शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता है, जब देश के किसी न किसी कोने से किसानों की आत्महत्या की खबरें न आती हों. हार किसानों की नहीं हुई है. ये हार अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्माताओं की है, जिन्होंने किसानों को मझधार में छोड़ दिया है.