द वायर एक्सक्लूसिव: सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता चलता है कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘नमामि गंगे’ के बावजूद गंगा की सेहत सुधरने के बजाय और ख़राब हुई है.
मोदी सरकार में विज्ञापन पर खर्च की गई राशि यूपीए सरकार के मुकाबले दोगुनी से भी ज़्यादा है. यूपीए ने अपने दस साल के कार्यकाल में विज्ञापन पर औसतन 504 करोड़ रुपये सालाना खर्च किया था, वहीं मोदी सरकार में हर साल औसतन 1202 करोड़ की राशि खर्च की गई है.
केंद्र के अधीन काम करने वाली संस्था नेशनल सफाई कर्मचारी फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने बताया कि 163 ज़िलों में कराए गए सर्वे में 20,000 लोगों की पहचान मैला ढोने वालों के तौर पर हुई है. हालांकि संस्था ने ये आंकड़ा नहीं बताया कि कितने लोगों ने दावा किया था कि वे मैला ढोने के काम में लगे हुए हैं.
मैला ढोने की प्रथा खत्म करने के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था राष्ट्रीय ग्रामीण अभियान द्वारा 11 राज्यों में कराए गए सर्वेक्षण से ये जानकारी सामने आई है.
भारत सरकार राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत वृद्धों को पेंशन देती है. इसमें केंद्र सरकार का योगदान केवल 200 रुपये प्रति माह है. पेंशन मिलने में आ रही दिक्कतों और पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर विभिन्न राज्यों से आए बुज़ुर्गों ने नई दिल्ली में प्रदर्शन किया.
विशेष रिपोर्ट: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के पास यह जानकारी भी नहीं है कि देश में कुल कितने सफाईकर्मी हैं. 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1993 से लेकर अब तक सीवर में दम घुटने की वजह हुई मौतों और मृतकों के परिवारों की पहचान कर उन्हें 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया था.
केंद्रीय सूचना आयोग ने इसी साल 15 जून को आदेश दिया था कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर के ज़िलाधिकारी और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सांसद निधि के तहत ख़र्च की गई राशि की विस्तृत जानकारी दें.
विशेष साक्षात्कार: डेटा सुरक्षा बिल, सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर केंद्रीय सूचना आयुक्त प्रो. मदाभूषनम श्रीधर आचार्युलु से धीरज मिश्रा की बातचीत.
केंद्र की मोदी सरकार धान का एमएसपी 200 रुपये बढ़ाकर ऐतिहासिक मूल्य वृद्धि का दावा कर रही है लेकिन सच्चाई ये है कि ये मूल्य स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश के मुक़ाबले 590 रुपये कम है.
विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा दायर की गई आरटीआई से ये जानकारी सामने आई है कि साल 2016 में सरकारी बैंकों द्वारा 78,322 खातों में, जोकि कृषि लोन पाने वाले कुल खातों का 0.15 फीसदी है, एक लाख 23 हज़ार करोड़ (12,34,81,89,70,000) रुपये डाले गए थे. ये राशि कुल दिए गए कृषि लोन का 18.10 फीसदी है.
विशेष रिपोर्ट: आरटीआई के जरिए यह सामने आया है कि साल 2016 में 615 खातों को औसतन 95 करोड़ से ज़्यादा का कृषि लोन दिया गया है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सस्ते दर और आसान नियमों के तहत किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारी भरकम लोन दिया जा रहा है.
विशेष रिपोर्ट: आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए कोई राशि जारी नहीं की गई है. इससे पहले आखिरी बार 2013-14 यानी यूपीए कार्यकाल में जारी 55 करोड़ रुपये में से 24 करोड़ रुपये अभी तक खर्च नहीं हुए हैं.
बीते शुक्रवार मिर्चपुर मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 33 लोगों को दोषी ठहराया और 12 लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई. मिर्चपुर से 80 किलोमीटर दूर बेहद अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे पीड़ित परिवार फ़ैसला आने के बाद जहां संतोष व्यक्त कर रहे हैं, वहीं उन्हें यह डर भी है कि उन पर फिर से हमला हो सकता है.
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की रिपोर्ट के मुताबिक एक कृषि परिवार की मासिक औसत कमाई 8,931 रुपये है. देश के आधे से ज़्यादा कृषि परिवार क़र्ज़ के दायरे में हैं और हर एक व्यक्ति पर औसतन एक लाख से ज़्यादा का क़र्ज़ है.
व्यापमं मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने अवमानना के आरोप में व्यापमं घोटाले को उजागर करने वाले ह्विसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी को ही जेल भेज दिया था. अदालत ने आशीष से बयान देने के लिए कहा था जिसे उन्होंने मना कर दिया था.