हार्वे ने सृष्टि की असाधारण सुंदरता और वैचित्र्य से प्रभावित होकर यह उपन्यास रचा है. हार्वे चाहती थीं कि उनके इस उपन्यास को सुंदरता और प्रेम के साथ किसी नायाब चीज पर लिखी गयी किताब के रूप में पढ़ा जाए. बुकर समिति ने उनकी इस आकांक्षा को साकार कर दिया है.
‘हान’ दक्षिण कोरियाई भाषा का एक प्रतिनिधि शब्द है. यह उन तमाम संवेदनाओं को प्रतिबिंबित करता है जिन्हें कोरिया अपनी पहचान का प्रतीक मानता है.