मोदी सरकार ने वास्तव में गरीब सवर्णों को आरक्षण दिया ही नहीं है, बल्कि चुनाव जीतने के लिए उनकी आंखों में धूल झोंकी है.
मोदी जी ने मनमोहन सिंह के लिए कहा था, 'जिस देश के किसान ख़ुदकुशी कर रहे हैं वहां के सत्ताधारी लोगों को नींद कैसे आ सकती है?' अब पता नहीं उन्हें नींद कैसे आती होगी.
अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग उथली राजनीति है तो नरेंद्र मोदी का देश भर में घूम-घूम कर चुनावी सभाओं में वादा करना उथली राजनीति नहीं थी?