महात्मा गांधी का मानना था कि अगर हमें अवाम तक अपनी पहुंच क़ायम करनी है तो उन तक उनकी भाषा के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है. इसलिए वे आसान भाषा के हामी थे जो आसानी से अधिक से अधिक लोगों की समझ में आ सके. लिहाज़ा गांधी हिंदी और उर्दू की साझी शक्ल में हिंदुस्तानी की वकालत किया करते थे.