अनवर जलालपुरी को याद करते हुए मशहूर शायर मुनव्वर राना कहते है कि एक टीचर के बतौर वो हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न हो. वो सांप्रदायिकता और अश्लीलता की तरफ न जाये.
जन्मदिन विशेष: इस मुल्क़ में 25 करोड़ मुसलमान हैं, इनको आप कहां फेंकेंगे? ज़मीन में बोएंगे तो ज़मीन छोटी पड़ जाएगी. हल यही है कि इनको अपने सीने से लगाइए.