माना जाता है कि नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता छोड़ दी थी. लेकिन गोपाल गोडसे ने जनवरी 1994 में एक साक्षात्कार में कहा कि नाथूराम आरएसएस में बौद्धिक कार्यवाह बन गया था. उसने आरएसएस को छोड़ने का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि गांधी की हत्या के बाद गोलवलकर और आरएसएस काफी परेशानी में थे.