कश्मीर चुनाव का छाया युद्ध: कौन किसका प्रॉक्सी है?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में परंपरागत राजनीतिक दल- पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस आदि ही निर्दलीय प्रत्याशियों समेत छोटे क्षेत्रीय दलों को भाजपा का 'प्रॉक्सी' और 'बी' टीम बता रहे थे. हाल यह है कि अब स्वतंत्र प्रत्याशियों को समर्थन देने वाले जमात-ए-इस्लामी ने भी यही दावे दोहराए हैं.

कश्मीर चुनाव: जमात-ए-इस्लामी 37 वर्षों बाद बंदूक से वोट की ओर क्यों लौट रहा है?

जम्मू कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी अचानक चुनावी मैदान में कूद पड़ा है. वर्ष 1987 के विधानसभा चुनावों के बाद इसने कभी चुनावों में भाग नहीं लिया था. इसलिए यह कोई मामूली बात नहीं है.

अनुच्छेद 370 हटाने से कमजोर हुई लद्दाख की हिल काउंसिल, निवासी मायूस

निवासियों का कहना है कि संविधान की छठी अनुसूची में जोड़े बिना लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से कोई लाभ नहीं मिला है. लद्दाख के भाजपा नेता भी यह मांग उठा रहे हैं.

अनुच्छेद 370 की पांचवी बरसी: जम्मू-कश्मीर में पत्रकारिता के संकट पर ‘दिल्ली’ की चुप्पी

पुस्तक अंश: 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात पर केंद्रित रोहिण कुमार की पुस्तक ‘लाल चौक’ का एक अंश.

नोएडा के ‘शिमला’ बनने की दूसरी तस्वीर एक गांव की बर्बादी की कहानी भी है

ग्राउंड रिपोर्ट: बीते सात फरवरी को दिल्ली-एनसीआर में हुई बारिश और ओलावृष्टि की तस्वीरों ने जहां मीडिया और आम लोगों को रोमांचित कर दिया था, वहीं इसी मौसम के चलते ग्रेटर नोएडा के अलीवर्दीपुर गांव में क़रीब 150 घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. इस बीच प्रशासन मदद देने के बजाय क्षतिग्रस्त घरों को अवैध क़ब्ज़ा बता रहा है.