शुरुआत में भारत ने नव-उपनिवेशवाद और इज़राइल द्वारा फ़िलिस्तीनी ज़मीन के अतिक्रमण की मुखर तौर पर निंदा की, लेकिन यह विरोध धीरे-धीरे कम हो गया. भारत का रुख कमज़ोर हुआ क्योंकि इज़राइल के साथ आर्थिक और सैन्य संबंध जुड़ गए. अब ये रिश्ते हिंदुत्व व यहूदीवाद की लगभग समान विचारधारा पर फल-फूल रहे हैं.