स्मृति शेष: पंडित राजन मिश्र का असमय चले जाना सभी संगीत-प्रेमियों के लिए भारी आघात है. ख़ासकर, उनके अज़ीज़ों के लिए, जिन्होंने एक अद्भुत गायक के साथ-साथ एक अद्भुत इंसान भी खो दिया.
कहते हैं कि इतिहास में नामों और तारीख़ों के अलावा कुछ सच नहीं होता जबकि कथा साहित्य में नामों और तारीख़ों के अलावा सब कुछ सच होता है. मृणाल पांडे के नए उपन्यास सहेला रे में तारीखें भी सच के क़रीब हैं, साथ ही किरदार भी सच्चाई के इतने नज़दीक हैं कि जानने वालों को उस ज़माने की न जाने कितनी वास्तविक छवियां यहां दिखाई देंगी.
इतिहासकार सुधीर चंद्र ने अपनी किताब ‘गांधी: एक असंभव संभावना ‘में गांधी के विचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला है.