सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पिछले महीने भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार के फिल्म प्रभाग, फिल्म समारोह निदेशालय और चिल्ड्रन फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया के एनएफडीसी में विलय का निर्देश दिया है. फिल्म इंडस्ट्री के लोगों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह निर्णय बिना हितधारकों से चर्चा के लिया गया है.
उधम सिंह और भगत सिंह के चरित्रों को एक संदर्भ देते हुए शूजीत सरकार दो महत्वपूर्ण लक्ष्यों को साध लेते हैं. पहला, वे क्रांतिकारियों को वर्तमान संकीर्ण राष्ट्रवाद के विमर्श के चश्मे से दिखाई जाने वाली उनकी छवि से और बड़ा और बेहतर बनाकर पेश करते हैं. दूसरा, वे आज़ादी के असली मर्म की मिसाल पेश करते हैं. क्योंकि जब सवाल आज़ादी का आता है, तो सिर्फ दो सवाल मायने रखते हैं: किसकी और किससे आज़ादी?
जम्मू एवं कश्मीर फिल्म विकास परिषद की वेबसाइट के मुताबिक नई फिल्म नीति के तहत दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में शूटिंग की मंजूरी लेने के लिए फिल्मकारों को फिल्म की स्क्रिप्ट का पूरा ब्यौरा और सार जमा कराना होगा. फिल्म की स्क्रिप्ट का मूल्यांकन जम्मू और कश्मीर फिल्म सेल द्वारा गठित समिति के एक विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मूबी पर उपलब्ध शाज़िया इक़बाल की 21 मिनट की फिल्म बेबाक एक निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार की लड़की फतिन और उसके सपनों की कहानी है.
बॉलीवुड भले ही अवसरवादी और रीढ़विहीन नज़र आता हो लेकिन अलग-अलग नज़रिया रखने वाले इसके सदस्य अपने देश की मार्केटिंग और उससे पैसे बनाने के मामले में एक-दूसरे से कोई मतभेद रखते नहीं दिखते.
‘मुल्क’ की सबसे बड़ी क़ामयाबी इसके द्वारा दी गई आतंकवाद की परिभाषा है, जोकि एक ऐसा शब्द है, जिस पर आज तक वैश्विक आम सहमति क़ायम नहीं हो सकी है.
भारतीय सिनेमा में यहूदियों केे योगदान पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले फिल्मकार डैनी बेन मोशे से बातचीत.