बंटवारे के बाद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत हमेशा के लिए बदल गया

जब सत्ता यह तय करती है कि जनता क्या सुन सकती है, क्या गा सकती है, तब संगीत और संगीतकारों को अपना रास्ता बदलना पड़ता है या ख़त्म हो जाना पड़ता है.