भाषाओं की प्रतिष्ठा उत्सवों से नहीं, उन्हें समृद्ध करने से बढ़ती है

भारतीय भाषा उत्सव में हिंदी और भारतीय भाषा की उपेक्षा कर अंग्रेजी का प्रयोग उपहासास्पद लगता है पर साहित्य अकादमी जैसी संस्थाओं के योद्धाओं को यह समझाना सत्ता का दायित्व है.