शाहबानो का गला घोंटा गया तब सेकुलरिज़्म ख़तरे में नहीं आया था? अब तक तीन तलाक़, हलाला, मुता निक़ाह जैसी कुप्रथाएं चली आ रही हैं. उनके ख़िलाफ़ आपने कभी आवाज़ नहीं उठाई. जब प्रताड़ित मुस्लिम औरतें ख़ुद बाहर निकलीं तो सेक्युलरिज़्म याद आ रहा है! 22/06/2017