क्या रामजस विवाद के बाद डीयू के विभिन्न कॉलेजों में अघोषित सेंसरशिप लागू है?

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में सभा, वाद-विवाद और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रबंधन की अनुमति मिलने में विद्यार्थियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 109: प्रधानमंत्री का नया नारा और गोरखपुर में बच्चों की मौत

जन गण मन की बात की 109वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए नारे और गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत पर चर्चा कर रहे हैं.

तेज़ाब हत्याकांड: उच्च न्यायालय ने शहाबुद्दीन की उम्रक़ैद की सज़ा बरक़रार रखी

सीवान निवासी व्यवसायी चंदा बाबू के दो बेटों गिरीश (24) और सतीश (18) का अपहरण करके तेज़ाब से नहलाकर उनकी हत्या कर दी गई थी.

तमिलनाडु: पीरियड्स को लेकर शिक्षिका की डांट से आहत छात्रा ने की आत्महत्या

पलायमकोट्टाई की 12 वर्षीय स्कूली छात्रा ने सुसाइड नोट में पीरियड्स के दाग को लेकर टीचर द्वारा पूरी क्लास के सामने अपमानित किए जाने की बात लिखी है.

ख़राब हालात वाले सरकारी स्कूलों को निजी कंपनियों को सौंप देना चाहिए: नीति आयोग

नीति आयोग ने सिफारिश की है कि इस बात संभावना तलाशनी चाहिए कि क्या निजी क्षेत्र प्रति छात्र के आधार पर सार्वजनिक वित्त पोषित सरकारी स्कूल को अपना सकते हैं.

चुनावी ट्रस्टों से मिला 95 प्रतिशत चंदा बीजेपी को: एडीआर

रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान सत्या चुनावी ट्रस्ट की ओर से 47 करोड़ रुपये तो समाज चुनाव ट्रस्ट को 2.52 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को मिले.

गोरखपुर अस्पताल में पिछले 72 घंटे में 61 बच्चों की मौत, इस महीने 290 जानें गईं

योगी आदित्यनाथ बोले, 'कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें कि सरकार उनका पालन पोषण करे.'

सुप्रीम कोर्ट सुनेगा बीएचयू में छात्राओं से भेदभाव का मामला

महिला महाविद्यालय के हॉस्टल की छात्राओं द्वारा लैंगिक भेदभाव भरे नियमों का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए शीर्ष न्यायालय ने सहमति जताई है.

राम रहीम मामले की पीड़िता बोली, मेरा परिवार 15 साल तक मानसिक तनाव में रहा और धमकियां मिलती रहीं’

पीड़िता ने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखकर डेरा में हो रहे साध्वियों के यौन शोषण की शिकायत की थी.

आज़ादी की लड़ाई में संघ की भूमिका पर सवाल उठाने वाली किताब क्यों छपने नहीं देना चाहती है सरकार?

अजय आशीर्वाद बता रहे हैं कि आज़ादी की लड़ाई पर आधारित एक किताब को पिछले दो सालों से भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद प्रकाशन की अनुमति नहीं दे रहा है.

‘औरतों की ज़िंदगी कोख के अंधेरे से क़ब्र के अंधेरे तक का सफ़र है’

'किसी समाज व शासन की सफलता इस तथ्य से समझी जानी चाहिए कि वहां नारी व प्रकृति कितनी संरक्षित व पोषित है, उन्हें वहां कितना सम्मान मिलता है.'