उग्रवादियों ने अगर नियम तोड़े तो समझौता तोड़ सकती है मणिपुर सरकार: मुख्यमंत्री

भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित मोरेह शहर में रविवार को एक लड़की की हत्या के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दिया बयान.

तमिलनाडु में विरोध हिंदी का नहीं ‘एक देश, एक संस्कृति’ थोपने का है

हिंदी थोपने की कोशिशों को ख़ारिज करना उत्तर की सांस्कृतिक प्रभुता को ख़ारिज करना भी है और अंग्रेज़ी के सहारे आर्थिक गतिशीलता की ख़्वाहिश का इज़हार भी है.

जन गण मन की बात, ​एपिसोड 88: जेएनयू में टैंक और पर्यावरण फंड में हेराफेरी

जन गण मन की बात की 88वीं कड़ी में विनोद दुआ जेएनयू में टैंक रखवाने के विचार और पर्यावरण फंड में हेराफेरी पर चर्चा कर रहे हैं.

‘टैंक रखने से राष्ट्रवाद की भावना मजबूत होती है​ तो एक टैंक संघ मुख्यालय में रखा जाना चाहिए’

जेएनयू में ‘देशभक्ति की भावना’ जगाने के लिए कैंपस में टैंक रखवाने के कुलपति एम. जगदीश कुमार के विचार पर जेएनयू के छात्र-छात्राओं से बातचीत.

यह मिथक तोड़ना ज़रूरी है कि केवल रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं से कृषि उत्पादकता बढ़ती है

दुनिया में सैकड़ों उदाहरण उपलब्ध हैं जहां महंगी रासायनिक खाद व कीटनाशकों के बिना अच्छी कृषि उत्पादकता प्राप्त की गई है.

रामनाथ कोविंद देश के नए राष्ट्रपति बने

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस केहर ने संसद के केंद्रीय कक्ष में निर्वतमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में कोविंद को पद की शपथ दिलाई.

दीनानाथ बत्रा की एनसीईआरटी को सलाह: स्कूली किताबों से हटाएं अंग्रेज़ी, उर्दू और अरबी के शब्द

संघ से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने एनसीईआरटी की किताबों से ग़ालिब, टैगोर, पाश की रचनाओं सहित गुजरात दंगों से जुड़े तथ्य हटाने की मांग की है.

‘देशभक्ति की भावना’ जगाने के लिए कैंपस में टैंक रखवाना चाहते हैं जेएनयू ​के कुलपति

रविवार को जेएनयू में पहली बार कारगिल विजय दिवस मनाया गया. कार्यक्रम में दो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनरल वीके सिंह मौजूद थे.

सुप्रीम कोर्ट का कश्मीरी पंडितों की सामूहिक हत्या की जांच याचिका पर सुनवाई से इनकार

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि 27 साल बाद उन मामलों के सबूत इकट्ठा करना मुश्किल होगा, जिनकी वजह से कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा था.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का कम निजी कंपनियों को ज़्यादा फायदा है

राज्यवार आंकड़ों से पता चलता है कि योजना के तहत किसान जितने भुगतान का दावा करते हैं निजी बीमा कंपनियां उससे कम राशि अदा करती हैं.