भारत बायोटेक की ओर से कहा गया है कि वह डब्ल्यूएचओ की आपात इस्तेमाल सूची में कोवैक्सीन के सूचीबद्ध होने को लेकर आश्वस्त है. हाल में कुछ ख़बरें आई थीं कि जिन भारतीयों ने कोवैक्सीन की खुराक ली हैं, उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी आ रही है, क्योंकि इस टीके को मान्यता नहीं मिली है.
एक वीडियो का हवाला देते हुए देश में डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा था कि रामदेव कह रहे हैं कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’ इस पर आईएमए सहित कई संस्थाओं ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कहा था कि रामदेव के ख़िलाफ़ महामारी अधिनियम के तहत मुक़दमा चलाना चाहिए, क्योंकि ‘अशिक्षित’ बयान देश के शिक्षित समाज के लिए एक ख़तरा है, साथ ही ग़रीब लोग इसका शिकार हो
सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे एक वीडियो का हवाला देते हुए भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने कहा कि रामेदव कह रहे हैं कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’. आईएमए, एम्स आरडीए, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन समेत कई अस्पतालों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर रामदेव के ख़िलाफ़ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है.
मध्य प्रदेश से कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने वैज्ञानिक तौर पर यह मान लिया है कि गोमूत्र पीने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है, जैसा भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने दावा किया है कि गोमूत्र पीने से कोविड नहीं होगा, क्योंकि इससे फेफड़ों का इंफेक्शन दूर होता है.
आईसीएमआर ने पुणे स्थित मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस लिमिटेड द्वारा निर्मित घर-आधारित रैपिड एंटीजन परीक्षण किट को मंज़ूरी प्रदान की है. उसने कहा कि इस किट का उपयोग केवल उन लोगों पर किया जाना चाहिए, जिनमें कोविड-19 के लक्षण दिखाई दें या जो लोग लैब द्वारा पॉजिटिव पाए गए लोगों के संपर्क में आए हों.
सरकार ने पाया कि कोविड-19 मरीजों के उपचार में प्लाज़्मा थेरेपी गंभीर बीमारी को दूर करने और मौत के मामलों को कम करने में फायदेमंद साबित नहीं हुई. प्लाज़्मा थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडीज लेकर उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, ताकि उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके.
पिछले कुछ महीनों में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच का समयांतर बढ़ाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह दो डोज के बीच समयांतर को 28 दिनों से बढ़ाकर 6 से 8 सप्ताह तक कर दें. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच के समय में बदलाव नहीं किया गया है.
गुजरात के कुछ लोग गाय के गोबर और मूत्र के शरीर पर लेप के लिए सप्ताह में एक बार गौ आश्रमों में जा रहे हैं. उनका ऐसा मानना है कि यह उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा या कोविड-19 से उबरने में मदद करेगा. हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है.
भारत सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिक सलाहकारों के एक मंच के चार वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस के नए प्रकारों के विषय में चेतावनी के बाद भी केंद्र द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रमुख प्रतिबंध लगाने के बारे में कुछ नहीं किया गया.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 15 अप्रैल तक 13,614 नमूनों की जांच संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (डब्ल्यूजीएस) के लिए 10 नामित आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं में में की गई. इनमें से 1,189 नमूने सार्स-सीओवी-2 के चिंताजनक स्वरूपों से संक्रमित पाए गए. जिनमें ब्रिटिश स्वरूप के 1,109 नमूने, दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के 79 नमूने और ब्राजीलियाई स्वरूप का एक नमूने शामिल हैं.
हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण प्रमुख ने कोरोना संक्रमण को रोकने की दलील देते हुए कहा कि टीकाकरण के लिए चेहरा पहचान तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि अधिकार संगठनों ने इसे लोगों की निजता के साथ खिलवाड़ बताया है.
एक जीनोम अनुक्रमण विशेषज्ञ ने बताया कि पुणे में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान द्वारा 361 कोविड-19 नमूनों की जांच की गई, जिसमें 61 प्रतिशत में डबल म्यूटेशन था. हालांकि यह नमूना आकार बहुत छोटा है, क्योंकि महाराष्ट्र में प्रति दिन लगभग दो लाख परीक्षण किए गए हैं. नमूनों की इतनी छोटी संख्या को ऐसे संकेत के रूप में नहीं लेना चाहिए कि डबल म्यूटेशन व्यापक स्तर पर है.
भारत में कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने कहा है कि रेमडेसिविर का उपयोग सिर्फ़ उन्हीं मरीज़ों के लिए किया जाए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती रखने की ज़रूरत है और जिन्हें बाहर से ऑक्सीजन दिया जा रहा है. आईएमए ने भी मेडिकल समुदाय से कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों में रेमडेसिविर इंजेक्शन का न्यायसंगत उपयोग करने का अनुरोध किया है.
रूस में निर्मित ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. इससे पहले जनवरी में पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ तथा भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दी थी.
मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 2,30,000 से अधिक मरीज़ों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड पर शोध किया गया, जिससे पता चला कि कोरोना से उबर चुके तीन में से एक शख़्स को संक्रमण के छह महीने के भीतर मस्तिष्क संबंधी या मानसिक स्वास्थ्य विकारों का पता चला है.