निराशा और निष्क्रियता के गर्त में चले गए विपक्षी दलों को संबोधित करते हुए एक खुला ख़त लिख रहे हैं राजद के प्रवक्ता मनोज कुमार झा...
अरविंद केजरीवाल का दावा है कि उनके पास पक्के सबूत हैं कि भाजपा ने पार्टी का नेतृत्व बदलने और दिल्ली सरकार हथियाने की कोशिश की थी.
एक दशक तक चले माओवादी उग्रवाद के चलते 1997 के बाद स्थानीय स्तर के चुनाव आयोजित नहीं कराए जा सके.
सर्जिकल स्ट्राइक को चुनावों में ख़ूब भुनाया गया. सरकार का दावा था कि अब पाकिस्तान की ओर से हमलों और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर लगाम लग जाएगी. लेकिन हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.
'ट्रिपल तलाक़ इस्लाम का मूल तत्व नहीं है. कोई भी क़ानून जो अमानवीय हो, इस्लामिक नहीं हो सकता.'
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा, पार्टियों को चुनौती देंगे कि वे 5 राज्यों के चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम में गड़बड़ी के अपने दावे को सच साबित करके दिखाएं.
जन गण मन की बात की 51वीं कड़ी में विनोद दुआ विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) और हाल ही में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई हिंसा पर चर्चा कर रहे हैं.
इस बार अलीगढ़ में कथित गोरक्षकों ने हाथ में लिया क़ानून. डेयरी में भैंस काटे जाने को लेकर पांच लोगों की बुरी तरह पिटाई की.
न्यायपालिका को कमज़ोर करने की कोशिशें भारतीय लोकतंत्र के मूल चरित्र के लिए ख़तरा हैं. मगर अफ़सोस की बात है कि इसे बहुमत का समर्थन हासिल है.
मुसलमानों के एक तबके में भाजपा को लेकर स्वीकार्यता बढ़ी है, लेकिन भाजपा की तरफ़ से ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है कि मुसलमानों के लिए कुछ किया हो.
जन गण मन की बात की 50वीं कड़ी में विनोद दुआ कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फ़ैसले और कश्मीर में हुई लेफ़्टिनेंट उमर फ़याज़ की हत्या पर चर्चा कर रहे हैं.
गोरखपुर में 2007 में हुए दंगों के मामले में योगी पर भीड़ को उकसाने का आरोप है. कोर्ट ने तलब किया तो मुख्य सचिव बोले, मुक़दमा चलाने की इजाज़त नहीं दी है.
‘पहले तरक़्क़ीपसंद मेरी तहरीरों को उछालते थे कि मंटो हममें से है. अब यह कहते हैं कि मंटो हम में नहीं है. मुझे ना उनकी पहली बात का यक़ीन था, ना मौजूदा पर है. अगर कोई मुझसे पूछे कि मंटो किस जमायत में है तो अर्ज़ करूंगा कि मैं अकेला हूं...’
भारत में हम टोबा टेक सिंह को महान कहानीकार सआदत हसन मंटो के मार्फ़त जानते हैं. ‘टोबा टेक सिंह’ विभाजन पर मंटो की सबसे प्रसिद्ध और त्रासद कहानियों में से एक है.
अवैध खनन माफिया और नक्सलियों के बीच एक साझेदारी है- दोनों ही चाहते हैं कि छतीसगढ़ के जो ज़िले पिछड़े और दूरस्थ हैं, वे वैसे ही बने रहें क्योंकि इनके ऐसे बने रहने में ही इनका फायदा है.