लोकसभा में दिए गए इस आंकड़े में अनुसूचित जाति वर्ग के 24, अनुसूचित जनजाति वर्ग के तीन, अन्य पिछड़ा वर्ग के 41 छात्र तथा अल्पसंख्यक वर्ग के तीन छात्र शामिल हैं.
इससे पहले डीयू के कुलपति योगेश सिंह द्वारा गठित एक समिति ने सिफ़ारिश की थी कि एडमिशन प्रक्रिया में पर्याप्त निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित करनी चाहिए. केरल बोर्ड के छात्रों को शत-प्रतिशत अंक मिलने के कारण बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय में उनके दाख़िले की तादाद बढ़ गई है.
वीडियो: बीते 15 दिसंबर 2019 को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस द्वारा हिंसा की गई थी. विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा सीएए और एनआरसी का विरोध किया जा रहा था. छात्रों को लाइब्रेरी में पीटा गया और लाइब्रेरी में भी तोड़-फोड़ की गई थी. इस हिंसा के दो साल पूरे होने पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में उस दिन को अभिव्यक्ति, आंदोलन और लोकतंत्र पर हमले के तौर पर याद किया गया.
वीडियो: कोरोना वायरस महामारी ने देश के हर वर्ग को प्रभावित किया है. प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागी भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. इन्हीं में से एक यूपीएससी के प्रतिभागी सरकार से परीक्षा में शामिल होने का एक और मौका देने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोविड-19 के कारण वो परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाए और उनको सरकार द्वारा न्याय मिलना चाहिए.
जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने आरोप लगाया था कि पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए मौखिक परीक्षा में शामिल हुए कई उम्मीदवारों को संवैधानिक रूप से अनिवार्य आरक्षण नीति का उल्लंघन करते हुए कम अंक दिए गए, ख़ासतौर पर उन विद्यार्थियों को जो हाशिये पर रहने वाले वर्गों से आते हैं.
बीते 11 दिसंबर को आयोजित 10वीं की अंग्रेज़ी परीक्षा के पेपर में ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’, जैसे वाक्यों के इस्तेमाल को लेकर आपत्ति जताई गई थी. सीबीएसई ने इन प्रश्नों पर छात्रों को पूरे अंक देने का फैसला किया है.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं कक्षा के अंग्रेज़ी पेपर में ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’, जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जताई गई है.
यूनेस्को और यूनिसेफ के सहयोग से विश्व बैंक द्वारा तैयार एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पढ़ाई में कमज़ोर बच्चों का हिस्सा 53 प्रतिशत था, जो कोविड-19 महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद होने के चलते 70 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.
झारखंड के लातेहार ज़िले के मनिका क्षेत्र का मामला. बीते दो सालों से बंद पड़े स्कूलों के विरोध में निकली रैली में शामिल अभिभावकों ने कहा कि अगर भीड़ को बाज़ारों, शादी और क्रिकेट स्टेडियम में जाने की अनुमति है तो स्कूलों को क्यों बंद रखा गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा पर ज़ोर दे रही है, लेकिन मनिका जैसे इलाकों में कुछ ही बच्चे ऑनलाइन पढ़ पाते हैं.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा 20 साल में पहली बार स्कूल की ड्रेस में बदलाव किया गया था. 2017 में भाजपा ने सरकारी स्कूलों के यूनिफॉर्म का रंग बदला था और कांग्रेस ने उस समय इस पर भगवा होने का आरोप लगाया था. नया यूनिफॉर्म ‘सर्फ ब्लू’ और ‘डार्क ग्रे’ रंग का होगा.
'फ्री टू थिंक 2021' रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय अधिकारियों ने आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के तहत शिक्षाविदों और छात्रों को ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और उन पर मुक़दमा चलाया गया.
शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने राज्यसभा में बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 6,229 पद जबकि ग़ैर-शिक्षण श्रेणी में 13,782 पद ख़ाली हैं. आईआईटी में शिक्षकों के 3,230 व ग़ैर-शिक्षण वर्ग में 4,182 पद रिक्त हैं. इसके अलावा आईआईएम में शिक्षकों के 403 पद ख़ाली हैं.
वीडियो: भारत भर में छात्र विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के रिज़ल्ट और कई भर्ती परीक्षाओं की तारीखों के ऐलान करने का इंतज़ार कर रहे हैं. इसके ख़िलाफ़ तमाम युवाओं ने एक ऑनलाइन विरोध अभियान शुरू किया है. द वायर ने ऐसे कुछ युवाओं से बातचीत की.
वीडियो: नरेंद्र मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी, लेकिन कोरोना वायरस के दौरान उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के अजगैन गांव के एक स्कूल में ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा का लाभ बच्चे नहीं उठा सके. यह स्कूल राज्य की राजधानी लखनऊ से महज 47 किमी. दूर है, जहां किसी भी बच्चे के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट नहीं है. इतना ही नहीं मिड-डे मील बनाने वाली महिला को पिछले साल जून से वेतन नहीं मिला है.
जम्मू कश्मीर स्कूली शिक्षा बोर्ड ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी स्कूलों को दिल्ली के एक प्रकाशन हाउस द्वारा प्रकाशित एक किताब वापस लेने का निर्देश दिया, जिसमें इस्लाम के ख़िलाफ़ ‘ईशनिंदा’ करने वाली सामग्री है. प्रकाशन हाउस ने सातवीं कक्षा के लिए ‘हिस्ट्री एंड सिविक्स’ नाम की इस किताब के 2020 के संस्करण में ग़लती के लिए खेद जताया है.