अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं. हालांकि छात्रसंघ भवन के सामने इकट्ठा होकर छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
वीडियो: जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए 50 छात्रों को रिहा कर दिया गया है. पुलिस की इस कार्रवाई में अनेकों छात्र घायल हुए थे और कई को हिरासत में लिया गया था. आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने जामिया मिलिया इस्लामिया जाकर छात्रों से वहां का हाल जाना.
जामिया मिलिया इस्लामिया की वाइस चांसलर प्रोफेसर नजमा अख़्तर ने कहा कि हम कैंपस के भीतर पुलिस कार्रवाई को लेकर एफआईआर कराएंगे. कैंपस में पुलिस की मौजूदगी को विश्वविद्यालय बर्दाश्त नहीं करेगा.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित नदवा कॉलेज में प्रदर्शन के दौरान पथराव. दिल्ली विश्वविद्यालय और हैदराबाद के मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी सोमवार को परीक्षाओं का बहिष्कार किया. बनारस में बीएचयू, कोलकाता में जाधवपुर विश्वविद्यालय और मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस में भी प्रदर्शन. देश के तीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने भी किया विरोध.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने याचिकाकर्ताओं से कहा, हम अधिकारों के बारे में जानते हैं और हम अधिकारों पर निर्णय लेंगे लेकिन इस हिंसायुक्त माहौल में नहीं.
दक्षिणी दिल्ली में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के बाद जामिया मिलिया परिसर में हुई हिंसा में करीब 100 लोग घायल हुए हैं. माहौल अब भी तनावपूर्ण.
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रहे नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को जारी किए गए एक सर्कुलर में कहा गया है कि वे किसी धरना या प्रदर्शन में हिस्सा न लें.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने शुक्रवार सुबह संसद तक मार्च निकाला था लेकिन उन्हें विश्वविद्यालय के पास ही रोक लिया गया. इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई, जिसमें छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया और आंसू गैस के गोले छोड़े गए.
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय को कुछ हद तक स्वायत्तता प्राप्त है. स्वायत्तता के नाम पर यहां के कुलपतियों को असीमित अधिकार मिल जाते हैं. इन अधिकारों का उपयोग कर वे विश्वविद्यालय को बेहतर बनाने के बजाय उसे बर्बाद करने में लगे रहते हैं.
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने शुक्रवार सुबह संसद तक मार्च निकालने की घोषणा की थी. हालांकि उन्हें विश्वविद्यालय के पास में ही रोक लिया गया.
बीते एक सप्ताह से दिल्ली विश्वविद्यालय के एडहॉक शिक्षक दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के नेतृत्व में स्थायी नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. नियुक्ति के अलावा इनकी कई और मांगें हैं, जिनमें वीसी का इस्तीफ़ा भी शामिल है.
बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान फैकल्टी के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर फिरोज खान की नियुक्ति का पिछले एक महीने से कुछ छात्र विरोध कर रहे थे. छात्रों का कहना था कि जैन, बौद्ध और आर्य समाज से जुड़े लोगों को छोड़कर किसी भी गैर हिंदू को इस विभाग में नियुक्त नहीं किया जा सकता.
बीएचयू के कुछ छात्र संस्कृत विभाग में डॉ. फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति का विरोध उनके मुस्लिम होने की वजह से कर रहे हैं. डॉ. ख़ान की नियुक्ति का संस्कृत विभाग के दलित प्रोफेसर ने समर्थन किया था.
जेएनयू में फीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध के बीच भारतीय जनसंचार संस्थान में भी फीस बढ़ाने को लेकर विरोध शुरू हो गया है. बीते 10 सालों में दोगुनी से अधिक बढ़ चुकी फीस को कम करने की मांग को लेकर संस्थान के छात्र पिछले तीन दिनों से धरने पर बैठे हैं.
जेएनयू कोई द्वीप नहीं है, वहां हमारे ही समाज से लोग पढ़ने जाते हैं. जो बात उसे विशिष्ट बनाती है, वो है उसके लोकतांत्रिक मूल्य. इनका निर्माण किसी एक व्यक्ति, पार्टी या संगठन ने नहीं, बल्कि भिन्न प्रकृति और विचारधारा के लोगों ने किया है. यदि ऐसा नहीं होता, तब किसी भी सरकार के लिए इसे ख़त्म करना बहुत आसान होता.