शिक्षकों ने पत्र लिखकर आरोप लगाया कि केजी सुरेश की अध्यक्षता में आईआईएमसी प्रशासन काफी मनमाना, अपारदर्शी और कामचलाऊ हो गया है.
जन गण मन की बात की 69वीं कड़ी में विनोद दुआ लखनऊ विश्वविद्यालय में योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम के विरोध में छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन और सुगम्य भारत अभियान पर चर्चा कर रहे हैं.
महिलाओं के सबसे अधिक सुरक्षित होने का दावा करने वाली दिल्ली में जब सरेआम यह हो सकता है तो छोटी जगहों पर कैसी धर-पकड़ होती होगी?
आईआईएमसी के महानिदेशक केजी सुरेश ने परिसर में यज्ञ कराने और विवादित आईजी एसआरपी कल्लूरी को आमंत्रित करने का किया बचाव.
दिल्ली की आधिकारिक भाषा अंग्रेज़ी, हिंदी, पंजाबी और उर्दू हैं पर दिल्ली के कई उच्च शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम सिर्फ अंग्रेज़ी में हैं और इम्तिहान भी अंग्रेज़ी में ही देना होता है. दिल्ली विश्वविद्यालय और आंबेडकर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी बता रहे हैं कि उन्हें अंग्रेज़ी में हो रही इस पढ़ाई से किस तरह की मुश्किलें आ रही हैं.
लगातार विवादों में घिरा सरकारी पत्रकारिता संस्थान आईआईएमसी अब परिसर के भीतर यज्ञ आयोजित कर रहा है जिसमें आरएसएस मुखपत्र पाञ्चजन्य के प्रकाशक भी शामिल होंगे.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी कर जांच के संबंध में रिपोर्ट मांगी.
सूचना अधिकारी पीवी के राजा ने आरटीआई का ग़लत जवाब दिया. बाद में कहा, संवादहीनता के कारण ऐसा हुआ.
जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय बता रहे हैं कि विवि प्रशासन द्वारा जारी की गई दाख़िला नीति अकादमिक काउंसिल से पास नहीं है.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इन छात्रों ने साइबर लाइब्रेरी 24 घंटे खोलने के लिए पिछले साल भूख हड़ताल की थी, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था.
‘छात्र और शिक्षक का रिश्ता बल प्रयोग का नहीं होता. यह नैतिक बल का रिश्ता होता है. नैतिक बल का पतन हो गया है तो प्रोफेसर को पुलिस बुलानी पड़ रही है.’
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हॉस्टल खाली करवाने के विरोध में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है.
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष के मुताबिक, इस फर्ज़ी ख़बर के बाद जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को हत्या और बलात्कार की धमकियां मिल रही हैं.
छात्रों का कहना है कि विवि प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए अवैध छात्रों के बहाने वैध रूप से रह रहे आठ हज़ार छात्रों को प्रताड़ित कर रहा है.
बीएचयू के महिला महाविद्यालय की एक छात्रा ने कैंपस में होने वाले लैंगिक भेदभाव और पितृसत्तात्मक सोच के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय महिला आयोग से मदद की अपील की है.