पुलिस ने बताया कि घटना मेईतेई बहुल बिष्णुपुर ज़िले के नारायणसेना गांव में हुई, जहां बंदूकधारियों ने गोलीबारी की. इसके अलावा उपद्रवियों ने बम फेंका, जो सीआरपीएफ चौकी के अंदर गिरकर फटा. इस विस्फोट में दो जवान मारे गए और दो अन्य घायल हुए हैं.
करीमगंज संसदीय क्षेत्र के एक मुस्लिम बहुल गांव के लोगों ने असम वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर आरोप लगाया है कि उन्हें कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने या 'बुलडोजर कार्रवाई' के लिए तैयार रहने की धमकी दी गई है.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान इनर मणिपुर लोकसभा क्षेत्र में हिंसा और ईवीएम के साथ तोड़-फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं. अब चुनाव आयोग ने इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम ज़िलों के 11 मतदान केंद्रों पर 22 अप्रैल को फिर से मतदान कराने के आदेश दिए हैं.
ख़बरों के अनुसार, राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से एक दिन पहले लोंगडिंग पुमाओ विधानसभा क्षेत्र में हिंसा हुई. यहां एनपीपी उम्मीदवार थांगवांग वांगखम का भाजपा उम्मीदवार तांगपो वैगनॉ के साथ कड़ा मुकाबला है.
वीडियो: हिमंता बिस्वा शर्मा की अगुवाई वाली असम की भाजपा सरकार पर लगातार सांप्रदायिकता बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले उनके विभिन्न बयान इसकी तस्दीक करते हैं. उधर, स्थानीय लोग सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद से नाराज़ है और इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हैं. वहां चुनाव में कौन-से मुद्दे प्रभावी रहेंगे, इस बारे में द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से बात कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
ग्यारह महीनों से जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में कुकी नेशनल असेंबली ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर भारत में पीड़ा सहना हमारा अधिकार माना जा रहा है, तो हम संसदीय चुनावों में भाग न लेने का विकल्प चुनते हैं. इससे पहले भी कई कुकी-ज़ो समूहों ने लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान कर चुके हैं.
मणिपुर के तेंगनौपाल और काकचिंग ज़िलों के आसपास दो सशस्त्र समूहों के बीच गोलीबारी में दो लोग घायल हो गए. वहीं, एक अन्य घटना में कुछ लोगों ने पल्लेल के पास एक आरा मशीन में आग लगा दी. राज्य में दो संसदीय सीटों के लिए दो चरणों में 19 और 26 अप्रैल को मतदान होना है.
आईआईटी-गुवाहाटी के प्रथम वर्ष के छात्र का शव 10 अप्रैल को उनके हॉस्टल के कमरे में मिला. बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले इस छात्र के परिवार ने आरोप लगाया है कि उनकी रैगिंग कर हत्या कर दी गई है, वहीं पुलिस आत्महत्या का संदेह जता रही है. परिवार ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
त्रिपुरा के लगभग 700 स्नातक शिक्षकों ने 2017 और 2020 के उनके बर्ख़ास्तगी आदेशों को असंवैधानिक बताते हुए याचिका में कहा है कि शिक्षकों के परिवार गंभीर स्थिति है. बर्ख़ास्त किए गए 160 से अधिक शिक्षकों की मृत्यु हो गई है, उनमें से कई ने बुनियादी जीविका की सुविधाओं के अभाव के कारण आत्महत्या की.
वीडियो: आगामी 19 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हालांकि, सीएम पेमा खांडू समेत भाजपा के दस प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके निर्वाचन क्षेत्र में उनके ख़िलाफ़ कोई नामांकन ही नहीं हुआ है और वे मतदान से पहले ही 'जीते' हुए माने जा रहे हैं. क्या ऐसा होना लोकतंत्र में जनता के उसके प्रतिनिधि चुनने के अधिकार के लिए ख़तरा है? प्रदेश की राजनीति पर द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मणिपुर हिंसा शुरू होने के 79 दिन तक चुप्पी न तोड़ना, उनकी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के चलते संसद में मजबूरन बोलना और आज तक हिंसाग्रस्त राज्य का दौरा न करना इस बात का पर्याप्त प्रमाण हैं कि उनके हिंसा में 'समय से हस्तक्षेप' के दावे में कोई सच्चाई नहीं है.
हैलाकांडी ज़िले की बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की वैधता पर सवाल उठा है. आरोप है कि निर्माण की अनुमति देने के लिए वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत अनिवार्य प्रक्रियाओं को नज़रअंदाज़ किया गया है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मुस्लिम समुदाय से कहा था कि यदि वे चाहते हैं कि उनके साथ मूल निवासी जैसा बर्ताव किया जाए तो वे असमिया संस्कृति का पालन करें. मूल निवासी होने के लिए किसी को वहां की संस्कृति को स्वीकार करना होगा.
जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में कुकी-ज़ो समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने कहा है कि समुदाय के सदस्यों को उनकी सलाह है कि वे भारतीय नागरिक के रूप में लोकसभा चुनाव में मतदान करके अपने मताधिकार का प्रयोग करें, लेकिन बाहरी मणिपुर सीट के लिए चुनाव लड़ने से बचें.
असम सरकार ने एक अधिसूचना में विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोगों की भूमि को 'कपटपूर्ण तरीकों से' ट्रांसफर करने के प्रयासों पर खुफ़िया एजेंसियों से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान निहित स्वार्थों को सांप्रदायिक संघर्ष पैदा करने से रोकने के लिए एनओसी देना ‘स्थगित’ रहेगा.