ब्रिटेन सरकार की गोपनीय जांच में गुजरात दंगों के लिए मोदी ज़िम्मेदार पाए गए थे: बीबीसी

बीबीसी ने ब्रिटेन में 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम की एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की है, जिसमें बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था.

आईटी नियमों में संशोधन के ख़िलाफ़ एडिटर्स गिल्ड, कहा- अकेले सरकार फेक न्यूज़ तय नहीं कर सकती

आईटी नियम के मसौदा संशोधन में कहा गया है कि पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा झूठी चिह्नित की गई सामग्री को सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटाना होगा. एडिटर्स गिल्ड ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह प्रेस की सेंसरशिप के समान है.

पत्रकारों को ख़बरों के स्रोत का ख़ुलासा न करने के लिए कोई वैधानिक छूट प्राप्त नहीं है: कोर्ट

मामला वर्ष 2009 का है. सीबीआई द्वारा समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव से जुड़े आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट पेश करने से पहले ही संबंधित दस्तावेज़ मीडिया में लीक हो गए थे. सीबीआई ने मीडिया घरानों ने उन दस्तावेज़ों को उपलब्ध कराने वाले स्रोत का खुलासा करने को कहा था, जिससे इनकार कर दिया गया था.

केंद्र का प्रस्ताव, पीआईबी फैक्ट-चेक द्वारा ‘फ़र्ज़ी’ बताई गई ख़बर को सभी मंचों से हटाना होगा

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के एक संशोधन मसौदे में कहा है कि प्रेस सूचना ब्यूरो की फैक्ट-चेकिंग इकाई या सरकार द्वारा अनुमोदित किसी अन्य एजेंसी द्वारा झूठी चिह्नित की गई सामग्री को सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटाना होगा.

राज्यसभा में ख़बरों का हवाला देते हुए सवाल पूछने की अनुमति नहीं होगी: रिपोर्ट

संसद के एक हालिया बुलेटिन के मुताबिक़, राज्यसभा में सांसदों को केवल ख़बरों का हवाला देते हुए सवाल पूछने और सरकार से कार्रवाई करने संबंधी मांग करने की अनुमति नहीं होगी.

दिल्ली पत्रकार संघ ने पत्रकारों और पत्रकारिता पर ‘बढ़ती पुलिसिंग’ की निंदा की

दिल्ली पत्रकार संघ ने कई गिरफ़्तार और जेल में बंद पत्रकारों को लेकर चिंता व्यक्त की है. ह्यूमन राइट्स वॉच की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने अधिकार कार्यकर्ताओं और मीडिया पर अपनी कार्रवाई तेज़ और व्यापक कर दी है.

यदि एंकर नफ़रती भाषण का हिस्सा बनता है, तो उसे प्रसारण से क्यों नहीं हटाया जा सकता: अदालत

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी समाचार सामग्री पर नियामकीय नियंत्रण की कमी पर अफ़सोस जताते हुए कहा कि नफ़रत फैलाने वाले भाषण एक ‘बड़ा ख़तरा’ हैं. भारत में ‘स्वतंत्र एवं संतुलित प्रेस’ की ज़रूरत है. अदालत ने कहा कि आजकल सब कुछ टीआरपी से संचालित होता है. चैनल एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं.

दिल्ली पुलिस अधिकारी की हत्या का आरोपी मुस्लिम नहीं है, जैसा कुछ समाचार संस्थानों ने बताया था

फैक्ट चेक: दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर शंभू दयाल बीती चार जनवरी को एक महिला का फोन छीनकर भाग रहे आरोपी को पकड़ने गए थे, इस दौरान उन पर आरोपी ने चाकू से हमला कर दिया था. कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद सुदर्शन न्यूज जैसे कुछ मीडिया संस्थानों ने आरोपी को मुस्लिम बताते हुए घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी.

कर्नाटक पुलिस पर आरोप, ख़बर का स्रोत उजागर करने के लिए न्यूज़ पोर्टल को कर रही प्रताड़ित

कन्नड़ न्यूज़ पोर्टल ‘द फाइल’ के संस्थापक संपादक जी. महंतेश को बेंगलुरु पुलिस ने नोटिस जारी कर पोर्टल पर प्रकाशित एक ख़बर के लिए हासिल किए गए दस्तावेज़ों के स्रोत का नाम और विवरण बताने को कहा है. इस क़दम की अन्य न्यूज़ पोर्टल ने यह कहते हुए निंदा की है कि अपने स्रोत का ख़ुलासा करना पत्रकारिता की नैतिकता के ख़िलाफ़ है.

कश्मीरी पत्रकार को ज़मानत, कोर्ट ने कहा- साक्ष्य नहीं, एनआईए ने अटकलों के आधार पर आरोपी बनाया

अक्टूबर 2021 में श्रीनगर के फोटो जनर्लिस्ट मोहम्मद मनन डार को एनआईए ने आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि आतंकी गतिविधियों का मामला बनाने के लिए कुछ पोस्टर, बैनर या अन्य आपत्तिजनक सामग्री का होना पर्याप्त नहीं है. 

पॉक्सो केस में दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद ज़ुबैर को क्लीनचिट दी, कहा- ट्वीट में कुछ भी आपराधिक नहीं

यह मामला ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा अगस्त 2020 में किए गए एक ट्वीट से संबंधित है, जिसमें उन्होंने एक यूज़र की प्रोफाइल पिक्चर शेयर करते हुए पूछा था कि क्या अपनी पोती का फोटो लगाकर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करना सही है. इसके बाद यूज़र ने उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा दी थी.

मणिपुर सरकार के ड्रग्स के ख़िलाफ़ अभियान पर टिप्पणी के लिए संपादक को हिरासत में लिया गया

मणिपुर के एक टीवी चैनल पर पैनल चर्चा के दौरान राज्य की भाजपा सरकार के ‘ड्रग्स के ख़िलाफ़ अभियान’ पर टिप्पणी करने के लिए स्थानीय अख़बार के संपादक हेमंत कुमार निंगोम्बा उनके आवास से पुलिस ने उन्हें उठा लिया था. हालांकि कुछ घंटे हिरासत में रखने के बाद उन्हें रिहा कर दिया. कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ज़मानत दी

अक्टूबर 2020 में हाथरस बलात्कार मामले की कवरेज के लिए जाते समय यूपी पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने बीते सितंबर में यूएपीए मामले में ज़मानत दे दी थी. हालांकि, उनके ख़िलाफ़ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले के कारण उन्हें रिहा नहीं किया गया था. 

पत्रकार का अपनी स्वतंत्रता खोना, जज द्वारा अपनी स्वतंत्रता खोने जितना बुरा: जस्टिस श्रीकृष्णा

1992-93 के मुंबई दंगों के कारणों की जांच करने वाले आयोग के अध्यक्ष रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दो पेशों को निश्चित रूप से स्वतंत्र होना चाहिए, एक न्यायाधीश का और दूसरा पत्रकार का. अगर उन्हें रोका जाएगा तो लोकतंत्र को नुकसान होगा.

द वायर की क़ैदियों के अधिकारों और पेगासस संबंधी रिपोर्ट को रेड इंक पुरस्कार मिला

मुंबई प्रेस क्लब की ओर से दिए जाने वाले प्रतिष्ठित रेड इंक अवॉर्ड्स, 2022 की विमेन एम्पावरमेंट एंड जेंडर इक्वॉलिटी और राजनीति श्रेणी (प्रिंट) में क्रमशः द वायर की सुकन्या शांता की जेलों में बंद ट्रांसजेंडर बंदियों की दशा पर की गई रिपोर्ट और सिद्धार्थ वरदराजन की पेगासस संबंधी रिपोर्ट को पुरस्कृत किया गया है.

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