वीडियो: 400 साल पुरानी बाबरी मस्जिद का विध्वंस देश की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु रहा है. इस विध्वंस के तीस साल पूरे होने पर इस बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.
वीडियो: डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, गांबिया में 66 बच्चों की मौत संभवतः भारत की दवा कंपनी द्वारा बनाए हुए कफ सीरप के दूषित होने के चलते हुई. भारत ने इसकी जांच की बात कही है लेकिन ऐसे पर्याप्त सबूत मौजूद हैं जो बताते हैं कि औषधीय एजेंसियों ने कंपनी के बारे में कई पूर्व चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया था.
वीडियो: यदि अदालत किसी व्यक्ति को सज़ा सुनाती है, तो किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति सजा माफ़ कर सकते हैं? संविधान के तहत राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति क्यों दी गई है, इस बारे में बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
वीडियो: लखीमपुर खीरी की घटना के एक साल पूरे होने के बाद राकेश टिकैत वहां पहुंचे थे. टिकैत ने सरकार को किसान और ग़रीब विरोधी बताया, साथ ही पीड़ित परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों, महंगाई, एमएसपी, चारे की कमी जैसे कई विषयों पर द वायर के लिए इंद्र शेखर सिंह से बात की.
वीडियो: यूपी सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रहे स्वामी चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ दर्ज बलात्कार के मुक़दमे को वापस लेने की पैरवी की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को ख़ारिज करते हुए कहा कि मुक़दमा वापस नहीं लिया जा सकता है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
वीडियो: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चार गुना फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ बीते कुछ हफ्तों से छात्र आंदोलन कर रहे हैं. अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों के ख़िलाफ़ दो एफआईआर दर्ज कराई हैं. इस बीच कुछ छात्रों ने आत्मदाह करने की भी कोशिश की है. इस बारे में विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत.
वीडियो: बीते हफ्ते मोहाली के चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में कई छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड किए जाने के आरोप लगाते हुए विद्यर्थियों ने प्रदर्शन किया था. पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार करते हुए मामले की जांच के लिए एक एसआईटी गठित की है. इस पूरे मामले के बारे में बता रहे हैं याक़ूत अली.
वीडियो: वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत करते हुए मार्च 2020 तक लगभग 8 करोड़ गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा था. द वायर ने इसे लेकर उत्तर प्रदेश के सीतापुर के ग्रामीण इलाक़ों की महिलाओं से बात की और जानने की कोशिश की कि उन्हें इस योजना का कितना लाभ मिल रहा है.
वीडियो: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए जून महीने में गिरफ़्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत मिलने के बाद उन्हें बीते शनिवार को साबरमती जेल से रिहा किया गया है. उनसे बातचीत.
वीडियो: पाकिस्तान में बाढ़ के चलते बलूचिस्तान और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांतों में हालात ख़राब हैं. सबसे गंभीर स्थिति सिंध में है, जहां अब तक सर्वाधिक 339 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. पाकिस्तान में अभी तक 1,70,000 से ज़्यादा घर तबाह हो चुके हैं, साथ ही क़रीब 150 से अधिक पुल भी बाढ़ के चलते टूट गए हैं.
वीडियो: भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने समय का होता है और इस पद के लिए क्या योग्यताएं वांछित हैं? क्या जो व्यक्ति कभी राष्ट्रपति रह चुका है, दोबारा निर्वाचित हो सकता है? राष्ट्रपति के कार्यालय से जुड़ी क्या शर्तें हैं. इस विषय पर विस्तार में बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
वीडियो: यूं तो इस्मत चुग़ताई को उर्दू साहित्यकार माना जाता है, लेकिन उनका पाठक और प्रशंसक वर्ग हिंदी में भी उतना ही बड़ा है. उर्दू के जिन चार प्रगतिशील साहित्यकारों में उनका नाम शामिल है, उन्होंने समूचे भारतीय साहित्य को एक नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई. उनकी याद के बहाने स्त्री मन को टटोलने की कोशिश.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के अंडा उत्पादकों का कहना है कि इस समय वे अंडे की खरीद दरें कम होने के कारण नुकसान झेल रहे है. नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी की सहयोगी संस्था अंडे को कम दरों में ख़रीदकर कोल्ड स्टोरेज में रखती है और बढ़े दाम पर बाज़ार में बेचती है जबकि छोटे अंडा उत्पादकों के पास ऐसी कोई सुविधा या संसाधन नहीं हैं.
वीडियो: भारत और पाकिस्तान की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के बाद भी अगर कोई वहां से भारत आना चाहे या यहां से कोई सरहद पार जाना चाहे, तो वीज़ा मिलना बहुत मुश्किल है. मगर कभी हाल बेहतर हों, तो क्या पाकिस्तानी हिंदुस्तान आना चाहेंगे? पाकिस्तान के नागरिकों से द वायर ने ऐसे ही कुछ सवाल किए, देखिए उनका जवाब इस रिपोर्ट में.
वीडियो: नेशनल हेराल्ड अख़बार की शुरुआत 1938 में जवाहरलाल नेहरू की संस्था 'एजेएल' ने की थी और वो इसके पहले संपादक भी थे. नेहरू जब प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया. पहले प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए अख़बार के दफ़्तर में आज ताले क्यों पड़े हैं? याक़ूत अली की रिपोर्ट.