आर्थिक असमानता लोगों को मजबूर कर रही है कि वे बीमार तो हों पर इलाज न करा पाएं

सबसे ग़रीब तबकों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण के स्तर को देखते हुए यह समझ लेना होगा कि लोक सेवाओं और अधिकारों के संरक्षण के बिना न तो ग़ैर-बराबरी ख़त्म की जा सकेगी, न ही भुखमरी, कुपोषण और बाल मृत्यु को सीमित करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा.

मिलेनियम सिटी को साजिद के घर में घुसकर मारने का वीडियो कैसा लगता होगा

गुड़गांव लगातार निशाने पर है. अनजान लोगों से बसा यह शहर हर किसी को अजनबी समझने की फितरत पाले हैं, इसलिए वह मज़हब के आधार पर शक किए जाने या किसी को पीट दिए जाने को बुरा नहीं मानता. भारत का यह सबसे आधुनिक शहर सिस्टम से लेकर एक स्वस्थ्य समाज के फेल होने का शहर है. इस शहर में धूल भी सीमेंट की उड़ती है, मिट्टी की नहीं.

बार गर्ल्स पर पैसे उड़ाने के 47 आरोपियों को कोर्ट ने जमानत राशि अनाथालय में जमा करने को कहा

बार मैनेजर, कर्मचारी और ग्राहक सहित सभी आरोपियों में से अधिकतर स्थानीय लोग थे जबकि कुछ लोग गुजरात और मध्य प्रदेश से भी थे.

एचआरडी का राष्ट्रीय प्राथमिकता के विषयों पर पीएचडी कराने का आदेश, केरल की प्रोफेसर का इस्तीफ़ा

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के इस आदेश के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ केरल की प्रोफेसर मीना टी पिल्लई ने बोर्ड ऑफ स्टडीज ऑफ इंग्लिश एंड कम्परेटिव लिटरेचर से इस्तीफा दे दिया है.

उर्दू वाला चश्मा: भारत की आत्मा को बचाने की लड़ाई

उर्दू वाला चश्मा की इस कड़ी में नूपुर शर्मा ज़िया उस सलाम की किताब के ज़रिए बहुसंख्यक (हिंदुत्व) की भीड़ द्वारा मुस्लिमों की पीट-पीटकर हो रही हत्या की घटनाओं पर चर्चा कर रही हैं.

उदारीकरण के बाद बनीं आर्थिक नीतियों से ग़रीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती गई

जब से नई आर्थिक नीतियां आईं, चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए खुलेआम जनविरोधी नीतियां बनाई जाने लगीं, तभी से देश राष्ट्र में तब्दील किया गया. इन नीतियों से भुखमरी, कुपोषण और ग़रीबी का चेहरा और विद्रूप होने लगा तो देश के सामने राष्ट्र को खड़ा कर दिया गया. खेती, खेत, बारिश और तापमान के बजाय मंदिर और मस्जिद ज़्यादा बड़े मुद्दे बना दिए गए.

केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में 170,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र में खनन को मंजूरी दी

छत्तीसगढ़ के परसा हसदेव अरंद खदान की क्षमता पांच मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है और इसका संचालन राजस्थान कोलिरीज लिमिटेड करती है. यह अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड की इकाई है.

दुनिया के खुशहाल देशों की रैंकिंग में लगातार तीसरे साल पिछड़ा भारत

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी सालाना हैप्पीनेस रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगातार खुशहाली में गिरावट देखी जा रही है. 156 देशों की सूची में इस साल 140वें पायदान पर रहा भारत, वहीं पाकिस्तान 67वें और बांग्लादेश 125वें स्थान पर.

सड़क से संसद: मोदी के गृह जनपद का सच, नहीं है ‘स्वच्छ’

सड़क से संसद में हम राजस्थान के रास्ते गुजरात पहुंच चुके हैं, जहां हम चलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मस्थान मेहसाणा ज़िले में. गुजरात के इस ज़िले को आधिकारिक तौर पर खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है, लेकिन जब हम यहां के वड़नगर शहर पहुंचे, तो यहां के रहवासियों ने 'स्वच्छ भारत' की एक अलग ही कहानी सुनाई.

क्यों राम जन्मभूमि की रट लगाने वाली जमातें अयोध्या की हनुमानगढ़ी का नाम नहीं लेतीं?

अयोध्या की ऐतिहासिक हनुमानगढ़ी ने आज़ादी के पहले से ही अपनी व्यवस्था में लोकतंत्र और चुनाव का ऐसा अनूठा और देश का संभवतः पहला प्रयोग कर रखा है, जिसका ज़िक्र तक करना सांप्रदायिक घृणा की राजनीति करने वालों को रास नहीं आता.

मौजूदा समय में फिल्मकारों-लेखकों को ख़ुद पर ही सेंसरशिप लगानी पड़ रही है: महेश भट्ट

फिल्म 'नो फादर्स इन कश्मीर' के ट्रेलर रिलीज़ पर फिल्मकार महेश भट्ट ने कहा कि आज एक फिल्म निर्माता और लेखक कागज़ पर कलम चलाने से पहले दस बार सोचता है कि उसे क्या लिखना चाहिए, सीबीएफसी उसे मंज़ूरी देगा या नहीं.

जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष भारत में लोकपाल के पहले अध्यक्ष नियुक्त

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पीसी घोष को देश के पहले लोकपाल के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दी. इसके अलावा लोकपाल में आठ सदस्यों की नियुक्ति भी की गई.

जबरन झुग्गियां ख़ाली करवाना ग़ैरक़ानूनी: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि झुग्गियों में रहने वालों से बिना सूचना दिए घर ख़ाली कराना क़ानून के विपरीत है. अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विस्थापित लोगों का तत्काल पुनर्वास हो.

एसिड अटैक बर्बर अपराध, अपराधी किसी तरह की नरमी का हक़दार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

हिमाचल प्रदेश में हुए एक एसिड अटैक के आरोप में सज़ा काट चुके दो दोषियों को पीड़िता को अतिरिक्त मुआवज़ा देने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे अपराध में किसी तरह की नरमी की गुंजाइश नहीं है. पीड़िता को ऐसे हमले से जो आघात पहुंचा है उसकी भरपाई दोषियों को सज़ा देने या किसी भी मुआवज़े से नहीं की जा सकती.

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