अप्रैल महीने से असम के कुछ ज़िलों में बड़ी संख्या में सुअरों के शव मिलने की बात सामने आई थी. पशु पालन और पशु चिकित्सा विभाग ने बताया है कि अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के कारण अब तक राज्य के 14 ज़िलों में 18,000 सुअरों की जान जा चुकी है.
वर्ष 1997 में हुई मिज़ो समुदाय के साथ हुई जातीय हिंसा के बाद ब्रू समुदाय के 35 हज़ार से अधिक लोगों को मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा पलायन करना पड़ा था. इन्हें वापस मिज़ोरम भेजने की प्रक्रिया लगातार विफल होने के बाद इस साल जनवरी में इन लोगों को त्रिपुरा में ही बसाए जाने का समझौता किया गया है.
असम बोर्ड के सचिव ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से हमारे राज्य के छात्र पहले ही अहम अकादमिक समय गंवा चुके हैं. इस कवायद का मुख्य उद्देश्य 2020-2021 सत्र में छात्र-छात्राओं के सिर से परीक्षा का तनाव कम करना है.
मेघालय की नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी की संयुक्त एक्शन समिति ने कहा है कि कुलपति एसके श्रीवास्तव के वित्तीय कुप्रबंधन के बाद भी अगर उनका कार्यकाल बढ़ाया जाता है तो यह ग़लत होगा. उनका कार्यकाल बढ़ाने से मेघालय और उत्तर-पूर्वी इलाके में इस विश्वविद्यालय के विनाश को बढ़ावा मिलेगा.
त्रिपुरा में एक राजनीतिक पार्टी के प्रदर्शन को कवर करने गए स्थानीय टीवी चैनल के पत्रकार शांतनु भौमिक की 20 सितंबर 2017 को हत्या कर दी गई थी. जून 2018 में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने मामला सीबीआई को सौंपा था. अब पत्रकारों ने जांच की धीमी रफ्तार को लेकर नाराज़गी जताई है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा को बताया कि असम में विदेशी नागरिकों से जुड़े मामलों का निस्तारण करने वाले न्यायाधिकरण के समक्ष ‘डाउटफुल वोटर्स’ के 83,008 मामले लंबित हैं.
अप्रैल 2019 में बिश्वनाथ ज़िले के 48 वर्षीय शौक़त अली को भीड़ ने उनकी दुकान पर पका हुआ गोमांस बेचने के आरोप में पीटा था और सुअर का मांस खिलाया था. एनएचआरसी ने असम सरकार को अली के मानवाधिकार उल्लंघन के लिए एक लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है.
प्रतिबंधित होने से पहले उल्फा के ब्रिटेन से मदद मांगने का खुलासा ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्स द्वारा कुछ गोपनीय दस्तावेजों को हाल में सार्वजनिक किए जाने के बाद हुआ है. उल्फा के तत्कालीन तीन शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद बांग्लादेश में ब्रिटिश राजनयिक डेविड ऑस्टिन ने एक पत्र लिख ब्रिटेन को बताया था कि उल्फा इजरायल से प्रभावित है.
धर्म के आधार पर फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के शासकीय अधिवक्ताओं को नियुक्त करने से पहले राज्य सरकार सीमाई ज़िलों में एनआरसी से बाहर रहने वाले लोगों की दर को लेकर कई बार नाख़ुशी ज़ाहिर कर चुकी है.
मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शुक्रवार को कहा था कि ‘कुछ अति उत्साहित अख़बार’ राज्य में कोविड-19 की स्थिति के बारे में जनता में भ्रम फैला रहे हैं, जिन्हें मैं कभी माफ़ नहीं करूंगा. मीडिया संगठनों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य सरकार मीडिया को अपना ग़ुलाम बनाने की कोशिश कर रही है.
नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि इंतज़ार की घड़ियां समाप्त हुईं और केंद्र ऐसा समाधान निकालने के लिए आवश्यक क़दम उठा रहा है, जो सभी को स्वीकार्य हो.
एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के एक साल बाद भी इसमें शामिल नहीं हुए लोगों को आगे की कार्रवाई के लिए ज़रूरी रिजेक्शन स्लिप का इंतज़ार है. प्रक्रिया में हुई देरी के लिए तकनीकी गड़बड़ियों से लेकर कोरोना जैसे कई कारण दिए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो वजह केवल यही नहीं है.
बीते पांच सितंबर को अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी ज़िले के जंगल में शिकार करने गए पांच लोगों को चीन की सेना द्वारा कथित तौर अपहृत किए जाने का मामला सामने आया था. केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू ने कहा है कि युवकों के कथित तौर पर अपहरण का मुद्दा चीनी सेना के समक्ष उठाया गया है और उनके जवाब का इंतजार है.
असम के रेंगोनी चैनल पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘बेग़म जान’ पर लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर दो महीने का प्रतिबंध लगा दिया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि दूसरे पक्ष को सुने बिना एकपक्षीय रूप से यह प्रतिबंध लगाया गया था.
घटना अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी ज़िले के नाचो इलाके में हुई. परिवार ने प्रशासन से अपहृत लोगों को वापस लाने के लिए क़दम उठाने की मांग की है.