मणिपुर पुलिस ने अपहरण के इन मामलों में एफआईआर दर्ज करके कम से कम 10 लोगों को गिरफ़्तार भी किया है, जिनमें दो लोग प्रभावशाली मेईतेई संगठन अरामबाई तेंग्गोल के सदस्य हैं, जिन पर इंफाल पूर्व के कांगपोकपी जिले से 4 पुलिसकर्मियों के अपहरण का आरोप है.
असम के कार्बी आंगलोंग ज़िले में एक ईसाई समूह ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी चर्चों में प्रवेश कर जानकारी इकट्ठा कर रहे है. उधर, पुलिस ने इसे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्रवाई बताया.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि 2023 में राज्य में 2,480 अवैध प्रवासियों का पता चला था, लेकिन पिछले साल 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद निर्वासित करने का अभियान बंद कर दिया गया था. इन आंकड़ों में म्यांमार से कामजोंग ज़िले में प्रवेश करने वाले अतिरिक्त 5,457 अवैध प्रवासियों को शामिल नहीं किया गया है.
असम के पहाड़ी दिमा हसाओ ज़िले में भारी भूस्खलन और रेलवे पटरियों के क्षतिग्रस्त होने के कारण बीते 25 अप्रैल से यात्री और माल गाड़ियां प्रभावित हुई हैं, जिससे त्रिपुरा में ईंधन संकट खड़ा हो गया है. राजधानी अगरतला में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
बीते वर्ष 3 मई से मणिपुर में शुरू हुए जातीय संघर्ष के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 विदेश दौरे भी किए हैं. मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच उन्होंने राजस्थान के सबसे ज्यादा दो दर्जन दौरे किए, वहीं 22 बार मध्य प्रदेश भी गए.
मणिपुर में पिछले साल 3 मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से पुलिस शस्त्रागारों से बार-बार हथियारों की लूट देखी गई थी, जिनके सरेंडर के लिए बार-बार अपील किए जाने और बरामदगी के लिए अभियान चलाए जाने के बावजूद भी कई हथियार अभी भी ग़ैरक़ानूनी तत्वों के हाथों में है.
मणिपुर के बिष्णुपुर में सेना की महार रेजिमेंट की एक टुकड़ी ने पुलिस की वर्दी पहने 11 ‘सशस्त्र बदमाशों’ को हिरासत में लिया और उनके पास से कई बंदूकें, ग्रेनेड आदि बरामद किए थे. हालांकि, मेईतेई महिलाओं के समूह मीरा पाइबीज़ ने जवानों को रोक दिया और स्थिति अराजक होने के बीच हिरासत में लिए गए लोगों को छुड़ा लिया गया.
मई 2023 में मणिपुर में हिंसा छिड़ने के बाद भीड़ ने दो कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया और उनका यौन उत्पीड़न किया था. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि घटना से पहले दोनों महिलाएं सड़क किनारे खड़ी पुलिस जिप्सी में बैठ गई थीं, लेकिन कर्मियों ने उन्हें गाड़ी की चाबी न होने का हवाला देकर वहीं छोड़ दिया.
पुलिस ने बताया कि घटना मेईतेई बहुल बिष्णुपुर ज़िले के नारायणसेना गांव में हुई, जहां बंदूकधारियों ने गोलीबारी की. इसके अलावा उपद्रवियों ने बम फेंका, जो सीआरपीएफ चौकी के अंदर गिरकर फटा. इस विस्फोट में दो जवान मारे गए और दो अन्य घायल हुए हैं.
करीमगंज संसदीय क्षेत्र के एक मुस्लिम बहुल गांव के लोगों ने असम वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर आरोप लगाया है कि उन्हें कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने या 'बुलडोजर कार्रवाई' के लिए तैयार रहने की धमकी दी गई है.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान इनर मणिपुर लोकसभा क्षेत्र में हिंसा और ईवीएम के साथ तोड़-फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं. अब चुनाव आयोग ने इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम ज़िलों के 11 मतदान केंद्रों पर 22 अप्रैल को फिर से मतदान कराने के आदेश दिए हैं.
ख़बरों के अनुसार, राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से एक दिन पहले लोंगडिंग पुमाओ विधानसभा क्षेत्र में हिंसा हुई. यहां एनपीपी उम्मीदवार थांगवांग वांगखम का भाजपा उम्मीदवार तांगपो वैगनॉ के साथ कड़ा मुकाबला है.
वीडियो: हिमंता बिस्वा शर्मा की अगुवाई वाली असम की भाजपा सरकार पर लगातार सांप्रदायिकता बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले उनके विभिन्न बयान इसकी तस्दीक करते हैं. उधर, स्थानीय लोग सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद से नाराज़ है और इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हैं. वहां चुनाव में कौन-से मुद्दे प्रभावी रहेंगे, इस बारे में द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से बात कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
ग्यारह महीनों से जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में कुकी नेशनल असेंबली ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर भारत में पीड़ा सहना हमारा अधिकार माना जा रहा है, तो हम संसदीय चुनावों में भाग न लेने का विकल्प चुनते हैं. इससे पहले भी कई कुकी-ज़ो समूहों ने लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान कर चुके हैं.
मणिपुर के तेंगनौपाल और काकचिंग ज़िलों के आसपास दो सशस्त्र समूहों के बीच गोलीबारी में दो लोग घायल हो गए. वहीं, एक अन्य घटना में कुछ लोगों ने पल्लेल के पास एक आरा मशीन में आग लगा दी. राज्य में दो संसदीय सीटों के लिए दो चरणों में 19 और 26 अप्रैल को मतदान होना है.