जन गण मन की बात की 142वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा द्वारा 8 नवंबर को नोटबंदी का जश्न मनाते हुए कालाधन विरोधी दिवस मनाने और महाराष्ट्र में किसानों की कर्ज़ माफ़ी में हुए फर्ज़ीवाड़े पर चर्चा कर रहे हैं.
भारत घूमने आये स्विटज़रलैंड के युगल ने बताया कि जब वे जमीन पर घायल पड़े थे, तब वहां खड़े लोग अपने मोबाइल फोन से उनका वीडियो बना रहे थे.
राजस्थान के अलवर जिले में 55 साल के पहलू खान को कथित गोरक्षकों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने के मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस.
लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के उलट निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न करवाए जाने को चुनौती देते हुए एनएसयूआई द्वारा याचिका दायर की गयी थी.
गुजरात चुनाव राउंडअप: वाघेला का नया राजनीतिक मोर्चा दूसरे दल के चुनाव चिह्न पर लड़ेगा, चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ गुजरात में शुरू हुआ चुनावी घमासान.
पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी आज़ादी की लड़ाई में न सिर्फ़ क्रांतिकारियों के साथ सक्रिय थे, बल्कि अपने अख़बार 'प्रताप' में आज़ादी की अलख जगा रहे थे.
स्टार प्लस ने अपने नए शो द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज में शामिल हुए राजस्थान के कॉमेडियन श्याम रंगीला के मोदी के मिमिक्री वाले एक्ट का प्रसारण नहीं किया.
हम भी भारत की छठी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी लव जिहाद और केरल की हादिया मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और वरिष्ठ पत्रकार नेहा दीक्षित के साथ चर्चा कर रही हैं.
समाजवाद में मुज़फ़्फ़रनगर दंगों में घरों से भगा दिए गए परिवारों के बच्चे कैंपों में ठंड से मर रहे थे वहीं रामराज में बच्चे अस्पताल में मर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 141वीं कड़ी में विनोद दुआ गुजरात विधानसभा चुनाव और सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश पर चर्चा कर रहे हैं.
कांग्रेस ने कहा, जेटली अर्थव्यवस्था की गलत तस्वीर पेश कर देश को गुमराह कर रहे, कालाधन विरोधी दिवस मनाने की बजाय देश को आहत करने के लिए माफ़ी मांगें.
विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने के लिए आधार को जोड़ने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी गई है.
ढांचागत परियोजनाओं में 6.92 लाख करोड़ ख़र्च होंगे और 2.11 लाख करोड़ रुपये एनपीए के बोझ से दबे सरकारी बैंकों का आधार मजबूत करने के लिए होंगे.
पुण्यतिथि विशेष: यह भी एक क़िस्म की विडंबना ही है कि जिस साहिर के कलाम गुनगुनाकर अनगिनत इश्क़ परवान चढ़े, उसकी अपनी ज़िंदगी में कोई इश्क़ मुकम्मल न हुआ.
जिस टीपू सुल्तान की पहचान बहादुर शासक के तौर पर होती रही है उसे अब एक धड़े द्वारा क्रूर, सांप्रदायिक और हिंदू विरोधी बताया जा रहा है.