मीडिया बोल की 65वीं कड़ी में उर्मिलेश नोटबंदी पर रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट, सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी और मीडिया पर सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शीतल प्रसाद सिंह और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से चर्चा कर रहे हैं.
मीडिया बोल की 64वीं कड़ी में उर्मिलेश मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक और अनिल अंबानी द्वारा नेशनल हेराल्ड पर किए गए मानहानि के मुक़दमे पर स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से चर्चा कर रहे हैं.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और भारत के प्रधान न्यायाधीश से फैसले की समीक्षा करने की अपील की.
पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत दायर मामले में राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को निजी मुचलके पर जमानत मिल गई है.
अदालत ने जांच की जानकारी लीक होने को लेकर नाराज़गी जताते हुए मीडिया को इसके प्रकाशन से परहेज करने को कहा है. साथ ही सीबीआई को अगली सुनवाई में जांच अधिकारी के तबादले का कारण बताने का आदेश दिया है.
प्रेस की दशा-दिशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर कहा गया है कि पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाओं के पीछे हिंदू राष्ट्रवादियों का हाथ है. इसमें हत्या भी हो सकती है, जैसा पत्रकार गौरी लंकेश के मामले में हुआ.
कुलदीप नैयर का जाना पत्रकारिता में सन्नाटे की ख़बर है. छापे की दुनिया में वे सदा मुखर आवाज़ रहे.
आपातकाल के दौरान इसका विरोध करने की वजह से जेल गए. तकरीबन 15 किताबें लिखने वाले कुलदीप नैयर तमाम प्रतिष्ठित अख़बारों के संपादक रह चुके थे.
पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने कहा कि नए निर्देश पाकिस्तान टेलीविज़न और रेडियो पाकिस्तान जैसे सरकारी संस्थानों को पूरी संपादकीय स्वतंत्रता के लिए जारी किए गए हैं. इन्हें विदेशी मीडिया संस्थानों की तरह स्वतंत्रता दी जाएगी.
पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत दायर मामले में राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित का कहना है कि वे कभी बिहार नहीं गए. वहीं, दूसरी ओर जिसके नाम से शिकायत दर्ज कराई गई है उसने ऐसी कोई शिकायत दर्ज कराने से इनकार किया है.
मीडिया बोल की 63वीं कड़ी में उर्मिलेश केरल की बाढ़ विभीषिका की मीडिया कवरेज और अटल बिहारी वाजपेयी पर वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा जोशी और जनता का रिपोर्टर के संपादक रिफ़त जावेद से चर्चा कर रहे हैं.
संपादकों का काम सत्ता के प्रचार के अनुकूल कंटेट को बनाए रखने का है और हालात ऐसे हैं कि सत्तानुकूल प्रचार की एक होड़ मची हुई है. धीरे-धीरे हालात ये भी हो चले हैं कि विज्ञापन से ज़्यादा तारीफ़ न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई दे जाती है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार प्रेस पर हमला करते रहते हैं. अमेरिकी प्रेस ने इसके ख़िलाफ जम कर लोहा लिया है. अख़बार बोस्टन ग्लोब के नेतृत्व में 300 से अधिक अख़बारों ने एक ही दिन प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर संपादकीय छापे हैं.
अमेरिका के बोस्टन ग्लोब अख़बार ने ‘एनमी ऑफ नन’ हैशटैग का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मीडिया विरोधी रुख़ की राष्ट्रव्यापी निंदा की अपील की थी. जिस पर हर अख़बार ने ट्रंप की मीडिया विरोधी टिप्पणियों के विरुद्ध अपना-अपना संपादकीय लिखा है.
मीडिया बोल की 62वीं कड़ी में उर्मिलेश मीडिया की आज़ादी पर पूर्व पत्रकार व आप नेता आशुतोष और वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर से चर्चा कर रहे हैं.