अयोध्या: फ़ैज़ाबाद की बहू बेगम की आख़िरी निशानी भी ख़तरे में है

सरकारी वेबसाइटों पर फ़ैज़ाबाद में स्थित बहू बेगम के मक़बरे को ग़ैर-मुग़ल मुस्लिम स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बताया गया है, हालांकि अब इसके परिसर में स्थापत्य की नहीं, अतिक्रमण व गंदगी की ‘भव्यता’ ही नज़र आती है.

भारत के विश्वविद्यालयों में अकादमिक स्वतंत्रता पर गंभीर संकट है

देश के विश्वविद्यालय ख़ासकर केंद्रीय विश्वविद्यालय एक प्रकार से केंद्र सरकार के ‘विस्तारित कार्यालय’ में तब्दील कर दिए गए हैं. कोई भी अकादमिक विभाग बिना प्रशासन की ‘छन्नी’ से गुजरे किसी भी प्रकार का आयोजन नहीं कर सकता.

क्या आज सिर्फ़ कृष्ण को ही याद करेंगे, कृष्णभक्त मुस्लिम कवियों को नहीं?

कृष्ण जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के साथ-साथ उन महान कवियों को भी याद किया जाना चाहिए, जिन्होंने कभी श्रीकृष्ण के प्रति भक्तिभाव से सुंदर काव्य रचे. यह दिन कवि तानसेन, ताज, रहीम, रसखान, जमाल, मुबारक, ताहिर अहमद, नेवाज, आलम, शेख तथा रसलीन का भी दिन है.

साहित्य की नागरिकता ऐसी विशाल नागरिकता से घिरी है, जिसे उसके होने का पता ही नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हम जिस हिंदी समाज में लिखते हैं, जिसके बारे में लिखते हैं और जिससे समझ और संवेदना की अपेक्षा करते हैं वह ज़्यादातर पुस्तकों-लेखकों से मुंहफेरे समाज है. उसके लिए साहित्य कोई दर्पण नहीं है जिसमें वह जब-तब अपना चेहरा देखने की ज़हमत उठाए.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त पांच

किसी भी देश में बहुसंख्यकवाद हो, उसका प्रभाव दूसरे देश की प्रगति को बाधित करेगा. दोनों देशों की छवियां भी इससे प्रभावित होंगी. यदि भारत और बांग्लादेश में से एक में भी धर्मनिरपेक्षता ख़त्म होती है तो ऊपर से चाहे जितने भी समझौते कर लिए जाएं, कभी अमन क़ायम नहीं हो सकता.

बंगनामा: हम्पी के प्रांगण में बंगाल के फूल

हम्पी जाते वक्त विजयनगर साम्राज्य की कलात्मक राजधानी की छवि मन में थी, लेकिन यह उम्मीद नहीं थी कि वहां पश्चिम बंगाल की झलक दिख जाएगी. बंगनामा स्तंभ की आठवीं क़िस्त.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त चार

बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.

मणिपुर ऑडियो टेप: क्या सीएम ने अमित शाह के आदेश के उलट राज्य में बम के इस्तेमाल का आदेश दिया?

मणिपुर में सालभर से चल रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की एक कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग, जिसे हिंसा की जांच कर रहे आयोग के सामने भी रखा गया है, सीएम के तौर पर उनके आचरण और इरादों पर सवाल खड़े करती है. मणिपुर सरकार ने रिकॉर्डिंग को 'फ़र्ज़ी' कहा है.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त दो

बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त एक

भारत के लिए आवश्यक है कि वह बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों से अच्छे संबंध कायम करे. यह रेखांकित करना चाहिए कि विपक्ष को 40 फीसदी मतदाताओं का समर्थन है

संसद की अवहेलना: अडानी की जांच पर संसद में वादे कर बार-बार मुकरी सरकार

पिछले 9 सालों में मोदी सरकार ने संसद को कम से कम सात बार आश्वासन दिया कि वह अडानी समूह और दूसरी कंपनियों से जुड़े कथित घोटालों की जांच कर रही है. लेकिन जब लोगों का ध्यान इस ओर से हटा, तो केंद्र ने चुपचाप इन जांचों को रोक दिया.

लोकसभा चुनाव ने नई उम्मीद को जन्म दे दिया है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: समाज, शिक्षा, धर्म, मीडिया आदि में जो ज़हर फैल गया है वह रातोंरात ग़ायब नहीं हो जाएगा, न हो रहा है. हमारे समय का एक दुखद अंतर्विरोध यह है कि ये शक्तियां अब भी हावी और सक्रिय हैं, उन्हें समर्थन देने वाला पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग झांसों-वायदों की गिरफ़्त में है.

अमृतलाल नागर का ‘करवट’: कई पीढ़ियों के इतिहास को समेटता उपन्यास

आज अमृतलाल नगर की 108वीं जयंती है. पढ़िए उनके उपन्यास 'करवट' पर लेख जो प्रस्तावित करता है कि यह उपन्यास विश्व के महानतम उपन्यासों के समकक्ष रखा जा सकता है.

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