जन गण मन की बात, एपिसोड 71: रामनाथ कोविंद और दार्जिलिंग में तनाव 

जन गण मन की बात की 71वीं कड़ी में विनोद दुआ राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और दार्जिलिंग में जारी तनाव पर पर चर्चा कर रहे हैं.

यह कहना कितना सही है कि क्रिकेट ने दूसरे खेलों का गला घोंटा है?

क्रिकेट में लाख अनियमितताओं के बावजूद खेल का स्तर बना रहा, जबकि अन्य खेल जो सरकार के अधीन रहे, वहां अनियमितताएं इस कदर हुईं कि खेल ही रसातल में चले गए.

अगर सरकार को लगता है कि ताकत से दार्जिलिंग में गतिरोध टूट जाएगा तो वह ग़लतफ़हमी में है

अस्सी के दशक में अशांति से निपटने के लिए ज्योति बसु सरकार ने दार्जिलिंग की पहाड़ियों को अर्धसैनिक बलों से पाट दिया था. सेना ने सिर्फ दहशत फैलाने का काम किया.

सरकार के योगासन के विरोध में किसानों का ‘शवासन’

देश के कई हिस्सों में सरकार द्वारा किसानों की समस्या पर ध्यान न देने के विरोध में अनोखा प्रदर्शन. किसानों ने कहा- हम योग के विरोध में नहीं, सरकार के विरोध में हैं.

‘मीडिया मालिकों ने पत्रकारों को बंधुआ मजदूर बना रखा है’

पत्रकारों के लिए जस्टिस मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफ़ारिश और सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से बातचीत.

मीडिया बोल, एपिसोड 02: किसको चाहिए आज़ाद मीडिया?

मीडिया बोल की दूसरी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा और नेपाल वन टीवी की मैनेजिंग एडीटर व वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह के साथ मीडिया की आज़ादी पर चर्चा कर रहे हैं.

‘मैं मैला ढोता हूं लेकिन मैला ढोने वाले के रूप में मरूंगा नहीं’

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान से पीएचडी करने वाले सुनील यादव दिन में पढ़ाई करते हैं और रात में सफ़ाई कर्मचारी का काम करते हैं. वे डॉ. अंबेडकर को अपना आदर्श और पढ़ाई को बदलाव का औज़ार मानते हैं.

पिछले 24 घंटे में मध्य प्रदेश में तीन और किसानों ने की आत्महत्या

मध्य प्रदेश में 8 जून से लेकर अब तक 15 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. एक जून को किसानों के आंदोलन शुरू होने के बाद से अब तक देश भर में 31 किसानों के आत्महत्या की ख़बर है.

400 प्रतिशत ब्याज वसूलने पर किसान आत्महत्या न करे तो क्या करे?

होशंगाबाद के नर्मदा प्रसाद यादव के पांच से छह लाख रुपये क़र्ज़ लिया था जो बढ़कर 30 लाख हो गया. साहूकार की प्रताड़ना के बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली.

क्यों वीरेंद्र सहवाग फूहड़ता के सुल्तान बनते जा रहे हैं?

वीरेंद्र सहवाग अभी चढ़ाई पर हैं क्योंकि उनकी फूहड़ता को ऑडियंस मिल रही है. उनको जितनी ऑडियंस मिलेगी वो और फूहड़ होते जाएंगे. आगे चल कर आपको बीवी-देवर वाले जोक्स भी देखने को मिल सकते हैं.

हिंदी साहित्य: कहां गई आलोचना, कहां गए आलोचक

आलोचना जगत पर हिंदी के अध्यापकों का कब्ज़ा है लेकिन ये अध्यापक सिर्फ भाषणबाजी कर रहे हैं. दुनिया भर में अच्छी आलोचना अकादमिक संस्थानों में विकसित होती है पर हमारे विश्वविद्यालयों के हिंदी विभागों में क्या हो रहा है, ये किसी से छिपा नहीं है.

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