‘यदि न्यायपालिका को कोई नहीं बचा सकता तो देश को कौन बचाएगा?’

‘जज लोया के मामले में आरोप न्यायपालिका के लिए बहुत ही ख़तरनाक हैं. क़ानून और व्यवस्था के रखवाले ही अगर ये करते हैं तो हम कहां जाएंगे?’

मुकुल रोहतगी ने अगला अटॉर्नी जनरल बनने का केंद्र का प्रस्ताव ठुकराया

मौजूदा अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है. इस पद के लिए सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को पेशकश की थी, खबरों के मुताबिक पहले उन्होंने स्वीकृति दे दी थी, लेकिन अब अपने क़दम पीछे खींच लिए हैं. रोहतगी पहले 2014 से 2017 के बीच भी इस पद पर रह चुके हैं.

दिल्ली हिंसा: कांग्रेस का आरोप- जस्टिस मुरलीधर का तबादला भाजपा के नेताओं को बचाने का षड्यंत्र

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सफाई दी है कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में 12 फरवरी को ही जस्टिस एस. मुरलीधर के तबादले की सिफारिश कर दी गई थी. किसी भी जज के ट्रांसफर पर उनकी भी सहमति ली जाती है और इस प्रक्रिया का भी पालन किया गया है.

मोदी सरकार के पांच सालों में कितना स्वतंत्र रह पाया सुप्रीम कोर्ट

मोदी सरकार के पांच सालों के बाद सुप्रीम कोर्ट डरा हुआ, बंटा हुआ और कमज़ोर नज़र आता है, जो एक ताकतवर केंद्र सरकार को चोट पहुंचाने से बचता हुआ दिखता है.

भारत में मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जाना चाहिए: पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा

पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि भारत में इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. गांवों में, इसकी वजह से अराजकता फैल जाएगी.’

कारवां का खुलासा: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे की कंपनी टैक्स हेवन में

डी-कंपनी नाम से अब तक दाऊद का गैंग ही होता था. भारत में एक और डी कंपनी आ गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके बेटे विवेक और शौर्य के कारनामों को उजागर करने वाली कारवां पत्रिका की रिपोर्ट में यही शीर्षक दिया गया है.

कहीं अमित शाह अपने गुनाहों के इतने ग़ुलाम तो नहीं हो चुके कि हार से डर लगने लगा?

संस्थाएं ग़ुलाम हो चुकी हैं. मीडिया बाकायदा गोदी मीडिया हो चुका है, सब कुछ आपकी आंखों के सामने मैनेज होता दिख रहा है, फिर भी अमित शाह को क्यों डर लगता है कि 2019 में हार गए तो ग़ुलाम हो जाएंगे? क्या वे भाजपा के कार्यकर्ताओं को डरा रहे हैं? जीत के प्रति जोश भरने का यह कौन-सा तरीक़ा हुआ कि हार जाएंगे तो ग़ुलाम हो जाएंगे?

हमें लगा था कि ‘बाहरी नियंत्रण’ में काम कर रहे थे पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा: जस्टिस कुरियन जोसेफ

सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा बुलाई गई अप्रत्याशित प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि तब उन्हें और बाकी जजों को ऐसा लगा था कि मामलों का आवंटन राजनीतिक दुर्भावना से किया जा रहा था.

अमित शाह का पीछा करती फ़र्ज़ी एनकाउंटर की ख़बरें और ख़बरों से भागता मीडिया

क्या अमित शाह कभी सोचते होंगे कि हरेन पांड्या की हत्या और सोहराबुद्दीन-कौसर बी-तुलसीराम एनकाउंटर की ख़बर ज़िंदा कैसे हो जाती है? अमित शाह जब प्रेस के सामने आते होंगे तो इस ख़बर से कौन भागता होगा? अमित शाह या प्रेस?

हरेन पांड्या और सोहराबुद्दीन एनकाउंटर तक के राज़ जानने वाले आज़म खान को कौन मारना चाहता है?

द वायर एक्सक्लूसिव: एक मुख्य गवाह के बतौर आज़म खान गुजरात के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा नेता हरेन पांड्या की हत्या से लेकर सोहराबुद्दीन शेख़ के एनकाउंटर से जुड़े कई राज़ जानते हैं. यही वजह है कि उन्हें अपनी जान पर ख़तरा नज़र आ रहा है.

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में पूर्व इंस्पेक्टर का आरोप, मुझे चुप कराने की कोशिश की जा रही है

सोहराबुद्दीन शेख मामले की जांच के बाद इसे फ़र्ज़ी बताने वाले गुजरात पुलिस के पूर्व इंस्पेक्टर वीएल सोलंकी ने द वायर को बताया कि सरकार हर वो तरीका इस्तेमाल कर चुकी है, जिससे मैं कोर्ट तक न पहुंच सकूं.

पांच दिन में 750 करोड़ रुपये नहीं गिने जा सकते, अहमदाबाद सहकारी बैंक की जांच हो

बैंक में गड़बड़ी न होने की नाबार्ड की सफ़ाई से साफ़ है कि इस संस्था पर भरोसा नहीं किया जा सकता. ऐसे समय जब सरकारी संस्थाएं और मीडिया चुप हों तो जनता को आगे आना चाहिए.

मैंने भाजपा से इस्तीफ़ा दिया क्योंकि…

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव की टीम का हिस्सा रहे शिवम शंकर सिंह कहते हैं, ‘मैं 2013 से भाजपा का समर्थक था क्योंकि नरेंद्र मोदी देश के लिए उम्मीद की किरण की तरह लगते थे और मुझे उनके विकास के नारे पर विश्वास था. अब वो नारा और उम्मीद दोनों जा चुके हैं.’

पूर्व मुख्य न्यायाधीश लोढ़ा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा स्थिति ‘दुर्भाग्यपूर्ण’

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एपी शाह ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीएच लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फ़ैसले को ‘न्यायिक रूप से ग़लत’ बताया.

कभी भाजपा की नज़र में लोकतंत्र बचाने वाले आज उसकी आंख की किरकिरी क्यों बन गए हैं?

आज जिन लोगों को अरुण जेटली ‘संस्थानिक बाधा’ बता रहे हैं, उन्हें यूपीए-2 के शासनकाल के समय भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने पर भाजपा ने सिर-आंखों पर बिठाया था.