जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पीएसए के तहत नजरबंद करने के खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका कर उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है.
इसके साथ ही दो अन्य नेताओं पर भी इस कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के सरताज मदनी शामिल हैं. पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से ही उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं.
भारत सरकार द्वारा आयोजित रायसीना वार्ता में भाग लेने के बाद वापस लौटकर दक्षिण और मध्य एशिया की कार्यवाहक सहायक सचिव एलिस वेल्स ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर राष्ट्रव्यापी विरोध पर कहा कि एक जोरदार लोकतांत्रिक समीक्षा होनी चाहिए चाहे वह सड़कों पर हो, चाहे राजनीतिक विपक्ष, मीडिया या अदालतों द्वारा हो.
जम्मू कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग की एक अधिसूचना के मुताबिक मोबाइल फोन पर 2जी स्पीड के साथ इंटरनेट सुविधा 25 जनवरी से चालू हो जाएगी. सोशल मीडिया साइटों तक घाटी के लोगों की पहुंच नहीं होगी और तय वेबसाइटों तक ही उनकी पहुंच हो सकेगी.
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कहा कि कश्मीर में राजनीतिक बंदियों की रिहाई, इंटरनेट बहाल करने और घाटी में लोगों का डर दूर करने से स्थिति सामान्य होगी, न कि विभिन्न मंत्रियों के फोटो खिंचवाने से.
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं. वहां जारी विरोध प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि जेएनयू एक राजनीतिक युद्ध का मैदान बन गया है. यह 10 रुपये से लेकर 300 रुपये तक फीस वृद्धि का मुद्दा नहीं है. हर कोई लड़ाई जीतने की कोशिश कर रहा था. मैं राजनीतिक दलों का नाम नहीं लूंगा.
जम्मू कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में सभी स्थानीय प्रीपेड मोबाइल फोन पर कॉल करने और एसएमएस भेजने की सुविधा बहाल कर दी गई है. इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से जम्मू क्षेत्र के सभी दस जिलों और उत्तरी कश्मीर के दो जिलों कुपवाड़ा और बांदीपोरा में फिक्स लाइन इंटरनेट संचार सेवा प्रदान करने को कहा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते अपने एक बेहद महत्वपूर्ण फैसले में जम्मू कश्मीर प्रशासन को आदेश दिया था कि वे एक हफ्ते के भीतर सभी प्रतिबंध आदेशों पर पुनर्विचार करें. ये प्रतिबंध पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से लगाए गए थे.
जिन 26 लोगों पर से जन सुरक्षा कानून हटाया गया है उनमें से कुछ केंद्र शासित प्रदेश से बाहर उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बंद हैं. इनमें जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नजीर अहमद रोंगा भी शामिल हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद सेंट्रल जेल में हिरासत में रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि इंटरनेट का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत बोलने एवं अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है. इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने का कोई भी आदेश न्यायिक जांच के दायरे में होगा.
वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट कहती है कि 662 लोगों ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की और अपने खिलाफ लगाए गए पीएसए को रद्द करने की मांग की.
जम्मू कश्मीर के अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए गए पांचों नेता नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के हैं, जिन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था. 5 अगस्त से पूर्ववर्ती राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथ मुख्यधारा और अलगाववादी खेमे दोनों के सैकड़ों नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अगले साल के लिए घोषित सरकारी अवकाश की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की जयंती और शहीद दिवस को हटा दिया है, लेकिन 26 अक्टूबर जिसे ‘विलय दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है, उसे इस सूची में जगह दी गई है.
जन सुरक्षा कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी सुनवाई के तीन महीने से दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के साथ ही वहां संचार माध्यमों पर लगी पाबंदियों को चुनौती देते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद, कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन और अन्य लोगों ने याचिकाएं दायर की थीं.