आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिड़े और उनके संगठन शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ छह मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा भाजपा और शिवसेना नेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज मामले भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा वापस लिए गए.
वे सभी लोग जो नए कलेवर में प्रस्तुत संघ को लेकर प्रसन्न हो रहे हैं, उन्हें यह जानना होगा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब संघ इस क़वायद में जुटा है. उन्हें 1977 के अख़बारों को पलट कर देखना चाहिए जब यह बात फैलाई जा रही थी कि संघ अब अपनी कतारों में मुसलमानों को भी शामिल करेगा. लेकिन यह शिगूफ़ा साबित हुआ.
संघ प्रमुख के हालिया बयानों की गंभीरता और विश्वसनीयता को इस कसौटी पर परखा जाना चाहिए कि आरएसएस से संबद्ध संगठन अपना आगामी चुनाव अभियान किस तरह से चलाते हैं.
संवाद का भ्रम रचकर बहुत कुछ हासिल करने की संघ की ताज़ा महत्वाकांक्षा की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वह अपने घर का दरवाज़ा चौड़ा और ऊंचा करने को तैयार नहीं है.
जन गण मन की बात की 306वीं कड़ी में विनोद दुआ संघ के बदलते रवैये और मंत्रियों की बीमारी के बारे मोदी सरकार द्वारा बरती जा रही गोपनीयता पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 305वीं कड़ी में विनोद दुआ संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया भाषण, इसके राजनीतिक महत्व और देश की अर्थव्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं.
2002 गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री की बेटी निशरीन हुसैन का संस्मरण.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समुदाय से एकजुट होकर मानव कल्याण के लिए काम करने की अपील की.
आरएसएस के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा कि समलैंगिक विवाह प्राकृतिक नहीं होते, इसलिए हम इस तरह के संबंध का समर्थन नहीं करते हैं.
बेस्ट ऑफ 2018: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपना अमेरिका, कनाडा और इज़राइल दौरा आख़िरी समय पर रद्द कर दिया, जहां वे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करने वाले थे.
जन गण मन की बात की 296वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 295वीं कड़ी में विनोद दुआ भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहुल गांधी के 1984 के दंगों को लेकर दिए गए बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
राहुल गांधी की कांग्रेस को सिख दंगों से अलग करने की कोशिश वैसी ही है, जैसी मोदी ने विकास के नारे में गुजरात के दाग़ छुपाकर की थी.
एंटी-नेशनल, भारत विरोधी जैसे शब्द आपातकाल के सत्ताधारियों की शब्दावली का हिस्सा थे. आज कोई और सत्ता में है और अपने आलोचकों को देश का दुश्मन बताते हुए इसी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है.
लंदन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री यह कहकर हर एक भारतीय का अपमान करते हैं कि पिछले 70 वर्ष में कुछ नहीं हुआ.