बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद के रक्तरंजित दौर की तरफ पच्चीस साल बाद फिर लौटते हुए हम नए सिरे से उस पुराने द्वंद्व से रूबरू होते हैं जो हर ऐसे सांप्रदायिक दावानल के बहाने उठता है.
‘हम वहां राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करने गये थे, मस्जिद गिराने नहीं’, बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल रहे कारसेवकों ने बताया उनका अनुभव.
यह वह अयोध्या नहीं है जिसको सार्वजनिक कल्पना में विहिप और भाजपा या दिल्ली के तथाकथित लिबरल्स व मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों ने स्थापित किया है. यह एक सामान्य शहर है.
देश के वामपंथी और समाजवादी बौद्धिकों ने धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का पूरा दारोमदार मंडलवादी और आंबेडकरवादी आंदोलनों पर डाल दिया लेकिन इन आंदोलनों ने देश को इतने भ्रष्ट नेता दिए कि उनके पास धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का नैतिक बल ही नहीं बचा.
द वायर की रिपोर्ट पर इंडिया फाउंडेशन की प्रतिक्रिया बेहद असंतोषजनक है. फाउंडेशन द्वारा न तो रिपोर्ट में उठाये गये और न ही निदेशकों को भेजे गए किसी सवाल का स्पष्ट जवाब दिया गया है.
विशेष रिपोर्ट: शौर्य डोभाल द्वारा संचालित इंडिया फाउंडेशन में मोदी सरकार के मंत्री निदेशक हैं. यह संस्थान कई ऐसे कॉरपोरेट्स से चंदा लेता है, जो सरकार के साथ सौदे भी करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर जल्द ही सुनवाई का भरोसा दिया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘बहुत अच्छा लगा लखनऊ में कई मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या में राम जन्मभूमि हिंदू समाज को सौंपने की वकालत की है.’
आडवाणी, जोशी, उमा भारती, विनय कटियार ने ख़ुद को आरोपों से बरी किए जाने का आवेदन अदालत में दिया, जिसे न्यायाधीश ने ख़ारिज कर दिया.
भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत कई बड़े नेता बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत के सामने पेश हुए.
विशेष सीबीआई अदालत ने कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं को पेशी से छूट नहीं दी जा सकती. उनको पेश होना ही होगा.
बाबरी विध्वंस मामले में गवाह वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान बता रहे हैं कि कैसे टालमटोल, सुस्ती और न्याय तंत्र की उदासीनता के चलते यह केस 25 सालों से लटका हुआ है.
बाबरी ध्वंस मामले में हाईकोर्ट ने आडवाणी समेत शीर्ष भाजपा नेताओं को आरोप मुक्त कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि इन सभी पर फिर आपराधिक साज़िश रचने का केस चल सकता है.
आज भाजपा का संगठन चुनाव के लिए चाक-चौबंद नज़र आता है. इस पर और नजदीक से नज़र डालने के लिए आइए चलते हैं कानपुर मंडल के फर्रुखाबाद जिले की अमृतपुर विधानसभा में.