भारतीय मुसलमानों के लिए दोहरी मार बनकर आया है कोरोना वायरस

सब जानते हैं कि कोविड-19 एक घातक वायरस की वजह से फैला है, लेकिन भारत में इसे सांप्रदायिक जामा पहना दिया गया है. आने वाले समय में यह याद रखा जाएगा कि जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ था, तब भी मुसलमान सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो रहे थे.

एक डरावने दौर से गुज़र रहा है भारत का लोकतंत्र

देश में एक लंबी और मुश्किल लड़ाई के बाद हासिल किए गए लोकतांत्रिक अधिकार ख़तरे में हैं क्योंकि सत्ताधारी दल द्वारा उनका दुरूपयोग किया जा रहा है.

झारखंड: मुस्लिम महिला का आरोप, अस्पताल के स्टाफ ने की बदसलूकी और धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणी

घटना जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की है. महिला का कहना है कि वह गर्भवती थीं और अचानक शुरू हुई ब्लीडिंग के बाद अस्पताल पहुंची थीं, जहां फर्श पर ख़ून गिर जाने पर स्टाफ ने मारपीट की. इसके बाद वह एक निजी अस्पताल गईं, जहां बताया गया कि गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई है.

यूपी: अस्पताल ने मुस्लिम मरीजों पर लगाया प्रतिबंध, कहा- कोरोना जांच निगेटिव आई हो तभी आएं

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैंसर अस्पताल द्वारा उठाया गया ये कदम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का उल्लंघन है जिसके तहत किसी भी मरीज को उसके धर्म या बीमारी के आधार पर इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता है.

बिहार: आशा कार्यकर्ताओं का आरोप, मानदेय देने के एवज में वसूला जा रहा है कमीशन

कोरोना संकट से निपटने के लिए ज़मीनी स्तर पर आशा कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, लेकिन महामारी के चुनौतीपूर्ण दौर में ज़िम्मेदारी के साथ मुश्किलें भी बढ़ गई हैं. बिहार के पूर्वी चंपारण क्षेत्र की कई आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें अपने भुगतान की राशि पाने के लिए कमीशन देना पड़ रहा है.

न्यायविदों-लेखकों सहित 3,500 लोगों ने द वायर और इसके संपादक के ख़िलाफ़ दर्ज केस की निंदा की

उत्तर प्रदेश की फैजाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी में दावा किया गया है कि ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी की थी.

लॉकडाउन के बीच यूपी पुलिस ने ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक को अयोध्या तलब किया

उत्तर प्रदेश की फैजाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी में दावा किया गया है कि ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी की थी.

कोरोना: तबलीग़ी जमात की ग़लती गंभीर है लेकिन महामारी का सांप्रदायीकरण भी कम आपराधिक नहीं है

इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकट में घिरे होने के बाद भी हम भारतीय अपनी कट्टरता, अंधविश्वास और पूर्वाग्रह से बाहर न निकलकर एक वैश्विक महामारी को भी हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बनाए दे रहे हैं.

यूपी: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पर मरकज़ में शामिल होने की बात छिपाने का आरोप, मामला दर्ज

पुलिस के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली में हुए तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में ड्यूटी भी दी. मामला सामने आने के बाद उन्हें परिवार समेत क्वारंटाइन में भेजा गया है.

कोरोना: डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले की घटनाएं बढ़ीं, संगठन ने गृह मंत्रालय को लिखा

कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए काम कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करने के दो हफ़्ते बाद देशभर से उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं. बुधवार को दिल्ली और भोपाल में चार डॉक्टरों पर हमले की घटनाओं के बाद चिकित्सकों के संगठन ने केंद्र सरकार से इस तरह की हिंसा रोकने को कहा है.

कोरोना संकट: जंग की ललकार की नहीं, दोस्ती की पुकार की घड़ी

युद्ध असाधारण परिस्थिति उत्पन्न करता है, जहां समाचार, विचार और सामाजिक आचार सिर्फ सरकारें तय कर सकती हैं. युद्ध में सरकार से सवाल जुर्म होता है और सैनिक से बलिदान की अपेक्षा की जाती है. ऐसे में अगर डॉक्टर ख़ुद को संक्रमण से बचाने की सामग्री की मांग करते हुए काम रोक दें तो वही जनता, जो इनके लिए करतल ध्वनि के कोलाहल का उत्सव मना रही थी, इनके लिए सज़ा की मांग करेगी.

राजस्थान: दर-बदर रहने वाले घूमंतु समुदाय भुगत रहे हैं लॉकडाउन का खामियाज़ा

कोरोना के चलते हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में घुमंतू समुदाय के कई समूह फंसे हुए हैं, न काम है न खाने पीने की कोई व्यवस्था. कुछ आम नागरिकों से मिली मदद के सहारे रह रहे इस समुदाय का कहना है कि सरकार द्वारा ग़रीबों के लिए हुई घोषणाओं में से उन्हें किसी का लाभ नहीं मिला है.

यह महामारी एक नई दुनिया में क़दम रखने का मौक़ा है

महामारियों ने हमेशा से ही इंसान को अतीत से नाता तोड़कर एक नए भविष्य की कल्पना करने के लिए मजबूर किया है. यह महामारी भी नए और पुराने के बीच एक दरवाज़ा है और यह हम पर है कि हम पूर्वाग्रह, नफ़रत, लोभ आदि के कंकाल ढोते हुए आगे बढ़ें या बिना ऐसे बोझों के एक नई और बेहतर दुनिया की कल्पना के साथ आगे निकलें.

उत्तर प्रदेश: सफ़र की तकलीफों के बाद क्वारंटाइन सेंटर की बदहाल व्यवस्थाओं से बेहाल मज़दूर

देश के विभिन्न शहरों से तमाम परेशानियों के बाद अपने गांव पहुंचे मज़दूरों को गांव के स्कूलों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में रखा गया है. अधिकांश स्कूलों में बिजली, पानी, शौचालय आदि से जुड़ी अव्यवस्थाओं के चलते मज़दूरों का यह 'एकांतवास' नए संघर्ष में बदल गया है.