बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में रह रहे सात लाख शरणार्थियों को हैजे का टीका लगाया गया. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कॉलेज ने जूनियर कॉमन रूम के टाइटल से सू ची का नाम हटाया.
आज अयोध्या सीता जैसी ही अकेली है. वह नहीं समझ पा रही कि इस उदासी का गिला किससे और कैसे करे? बुधवार की जगर-मगर देखने तो सैकड़ों न्यूज़ चैनल दौड़ पड़े थे, अब उसकी उदासी को खोज-ख़बर लेने वाला कोई नहीं है.
जन गण मन की बात की 139वीं कड़ी में विनोद दुआ भारत में स्वास्थ्य सेवा और जीएसटी पर प्रधानमंत्री के बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 2015 में दुनिया भर में प्रदूषण से लगभग 90 लाख लोगों की मौत हुई.
गुजरात चुनाव का कार्यक्रम नहीं घोषित करने पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने चुनाव आयोग की आलोचना की.
ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद बता रही हैं कि सोशल मीडिया पर अब ट्रोलिंग नहीं हो रही है बल्कि गालियां और रेप की धमकी दी जा रही हैं जो कि आपराधिक कृत्य है.
झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस द्वारा नक्सली बताकर मारे गए मोतीलाल बास्के की पत्नी पार्वती मुर्मू इंसाफ़ के लिए संघर्ष कर रही हैं.
जन गण मन की बात की 138वीं कड़ी में विनोद दुआ आधार कार्ड की अनिवार्यता और भारत में भ्रूण परीक्षण पर चर्चा कर रहे हैं.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं का दौर जारी है. अगस्त महीने में बच्चों की मौतों को स्वभाविक बताने वाले यूपी सरकार के मंत्री अब इस बारे में चुप्पी साध गए हैं.
कई बरस से लोग भूख से मर रहे हैं, लेकिन सत्ता हमेशा इस बात से इंकार करती है कि इस देश में किसी की मौत भूख के चलते भी होती है.
हम भी भारत की पांचवीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि रह चुके विजय नांबियार और आॅब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो मनोज जोशी से चर्चा कर रही हैं.
आरोप है कि नागपुर में बाबा रामदेव को फूड पार्क के लिए एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ की ज़मीन को सिर्फ 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के भाव में दे दिया गया.
जन गण मन की बात की 137वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात में दिए गए भाषण और भारत में भुखमरी पर चर्चा कर रहे हैं.
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा है, 'ममता ने निडर और आक्रामक रूप से अपना रास्ता बनाया. आज वह जिस मकाम पर हैं, वह उनके संघर्ष का परिणाम है.
सही मायने में अयोध्या और यहां रहने वाले लोगों की फ़िक्र किसी को नहीं है. 1,71,000 दीयों वाली सरकारी दीपावली मनाकर योगी सरकार सिर्फ़ अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है.