संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि पर्यटन वैश्विक अर्थव्यवस्था का ईंधन है. महामारी की वजह से इस क्षेत्र की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है. पर्यटन उद्योग में 12 करोड़ नौकरियां ख़तरे में हैं.
शेयरधारकों को लिखे पत्र में भारतीय उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि भारत में कोविड-19 ऐसे समय आया है, जबकि वैश्विक अनिश्चितता तथा घरेलू वित्तीय प्रणाली पर दबाव की वजह से आर्थिक परिस्थितियां पहले से सुस्त थीं.
वह देश और उसकी जनता कितने दुर्भाग्यशाली होते होंगे, जिनकी चुनी हुई सरकार ही उनसे सच छिपाती फिरे. जहां राम नाम सत्य है कहा जाता होगा, पर उसका अर्थ गहरा और पवित्र नहीं होता होगा.
वैश्विक ब्रोकिंग कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज़ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 के चलते देश में आर्थिक गतिविधियों में आई गिरावट के चलते यदि उम्मीद के अनुरूप स्थिति भी रहती है, तब भी अर्थव्यवस्था के क़रीब चार प्रतिशत नीचे जाने का अनुमान है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक, झारखंड, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद पर लॉकडाउन का सबसे गहरा असर दिख सकता है. वहीं, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इसका असर सबसे कम रह सकता है.
एशियाई विकास बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में धीमी पड़कर 3.1 प्रतिशत रही. यह 2003 के बाद सबसे धीमी वृद्धि है.
केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के बाद लागू लॉकडाउन के दौरान लगातार दूसरे महीने खुदरा मुद्रास्फीति के आंशिक आंकड़े जारी किए. मई 2019 में खाद्य महंगाई दर 1.83 फीसदी थी.
अगले छह महीनों में विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक तेज़ी से होने वाले जिस सुधार को लेकर प्रधानमंत्री इतने आश्वस्त हैं, वह भारी-भरकम सरकारी ख़र्च के बिना असंभव लगता है. अर्थव्यवस्था को इतना नुकसान पहुंचाया जा चुका है कि सुधार की कोई कार्य योजना पेश करने से पहले गंभीरता से इसका अध्ययन करना ज़रूरी है.
ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा कराया गया ये सर्वे एमएसएमई, स्व-रोजगार, कॉरपोरेट सीईओ और कर्मचारियों से प्राप्त कुल 46,525 जवाबों पर आधारित है.
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इससे पहले 1998 में भारत की रेटिंग को कम किया था. मूडीज ने कहा कि सुधारों की धीमी गति और नीतियों की प्रभावशीलता में रुकावट ने भारत की धीमी वृद्धि में योगदान किया. यह स्थिति कोविड-19 के आने से पहले ही शुरू हो चुकी थी.
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 11 साल के निचले स्तर 4.2 फीसदी पर पहुंच गई है.
सूक्ष्म,लघु और मध्यम उपक्रम यानी एमएसएमई क्षेत्र के लिए सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपये के गारंटी फ्री लोन का ऐलान किया है. उम्मीद की जा रही है कि यह बेरोज़गारी के संकट को ख़त्म करने में मददगार साबित होगा और बाज़ार में मांग पैदा करेगा, लेकिन इस क्षेत्र के हालात ऐसे नहीं है कि सिर्फ एक लोन पैकेज से तस्वीर बदल जाए.
आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक अप्रैल में गिरकर 27.4 अंक रह गया. इस सूचकांक का 50 अंक से ऊपर रहना कारोबारी गतिविधियों में विस्तार, जबकि उसके नीचे रहना गतिविधियों के कमजोर पड़ने को दर्शाता है.
देश में लॉकडाउन के बाद विश्लेषकों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में कहा कि अनुमान है कि तीन सप्ताह के राष्ट्रव्यापी बंदी से ही 90 अरब डॉलर का नुकसान होगा. नोटबंदी और जीएसटी की दोहरी मार झेलने वाले असंगठित क्षेत्र पर इसका असर सर्वाधिक पड़ेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की टिप्पणी इस संबंध में महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही जो करीब सात साल का न्यूनतम स्तर है.