जिस तरह देश में सांप्रदायिक वैमनस्य बढ़ रहा है, उससे मुसलमानों के निराश और उससे कहीं ज़्यादा भयग्रस्त होने के अनेकों कारण हैं. समाज एक ‘बाइनरी सिस्टम’ से चलाया जा रहा है. अगर आप बहुसंख्यकवाद से सहमत हैं तो देशभक्त हैं, नहीं तो जिहादी, शहरी नक्सल या देशद्रोही, जिसकी जगह जेल में है या देश से बाहर.
आरटीआई के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है. अयोग्य लाभार्थियों में आधे से अधिक यानी 54.03 प्रतिशत लोग पंजाब, असम और महाराष्ट्र से हैं.
केंद्र की ओर से जारी बयान के अनुसार, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जलाशयों, जीवित पक्षी बाज़ारों, मुर्गीपालन केंद्रों और चिड़ियाघरों आदि के आसपास निगरानी बढ़ाने का अनुरोध किया गया है. साथ ही मृत पक्षियों को प्रोटोकॉल के तहत दफ़नाने और मुर्गीपालन केद्रों में पक्षियों की सुरक्षा को लेकर अधिक ध्यान देने का आग्रह किया गया है.
मध्य प्रदेश में भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे चार संगठनों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि भारत बॉयोटेक के ‘कोवैक्सीन’ टीके के क्लीनिकल परीक्षण में भाग ले रहे लोगों की सुरक्षा और उनके हकों को नजरअंदाज करने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई और मुआवज़े की मांग भी की है.
गोएयर द्वारा बर्ख़ास्त किए पायलट ने बीते सात जनवरी को प्रधानमंत्री के बारे में अपमानजनक ट्वीट किया था. इसके बाद उन्होंने उसी दिन इस ट्वीट को हटाकर माफ़ी मांगते हुए एक अन्य ट्वीट किया और अपना अकाउंट लॉक कर दिया है.
पंजाब भाजपा के सचिव सुखपाल सिंह सरां ने टेलीविजन बहस के दौरान कृषि कानूनों की तुलना गुरु गोबिंद सिंह के ज़फ़रनामे से की थी. ज़फ़रनामा चमकौर के युद्ध के बाद गुरु गोबिंद सिंह द्वारा मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब को लिखा एक आध्यात्मिक विजय पत्र है.
93 वर्षीय माधव सिंह सोलंकी ने जून 1991 से मार्च 1992 के बीच विदेश मंत्री का प्रभार भी संभाला था. वह गुजरात में जातिगत समीकरणों को साधने वाले बड़े नेता थे. 80 के दशक में जातिगत समीकरणों को साधने के लिए उन्होंने क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम (केएचएएम) फॉर्मूला सुझाया था.
शनिवार तड़के भंडारा ज़िला अस्पताल के सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट में आग लग गई. यहां कुछ दिनों की उम्र से लेकर कुछ महीनों के 17 नवजात बच्चे थे, जिनमें से सात को ही बचाया जा सका. आग की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन के भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल को मंज़ूरी देने के बाद से इसे लेकर कुछ सवाल उठ रहे हैं. लेकिन सरकार और उसके समर्थक जवाब न देने की अपनी पुरानी परंपरा के मुताबिक़ सवाल पूछने वालों पर राजनीति करने की तोहमत लगा रहे हैं.
विशेष रिपोर्ट: पिछले साल नवंबर महीने में मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हुई थी. इससे जुड़े दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सर्च कमेटी ने बिना स्पष्ट प्रक्रिया और मानक के नामों को शॉर्टलिस्ट किया था. प्रधानमंत्री पर दो किताब लिख चुके पत्रकार को बिना आवेदन के सूचना आयुक्त बना दिया गया.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को कहा कि पत्थरबाज़ों और सार्वजनिक या किसी की व्यक्तिगत संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों को सज़ा दिलाने के साथ-साथ उनसे नुकसान की वसूली करने के लिए मध्य प्रदेश में जल्द ही सख़्त क़ानून बनेगा.
भीमा-कोरेगांव हिंसा के एक दिन बाद 2 जनवरी 2018 को एक दलित कार्यकर्ता ने श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े और समस्त हिंदू अघाड़ी नेता मिलिंद एकबोटे के ख़िलाफ़ हिंसा को उकसाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कहा कि सरकार को चार्जशीट के लिए मंज़ूरी का प्रस्ताव मिला है, इस पर निर्णय लिया जाएगा.
आरोप है कि उज्जैन के बेग़म बाग इलाके में भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली में कथित तौर पर सांप्रदायिक नारे लगाने के कारण कुछ लोगों ने पत्थबाज़ी कर दी थी. मध्य प्रदेश में कट्टरवादी हिंदू समूहों द्वारा ऐसी रैलियों के दौरान कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. ये रैलियां राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जमा करने के उद्देश्य से निकाली जा रही हैं.
भरूच सीट से छह बार सांसद बने मनसुख वसावा ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफ़ा देते हुए कहा था कि सरकार या पार्टी के साथ उनका कोई मुद्दा नहीं है और वे स्वास्थ्य कारणों से पार्टी छोड़ रहे हैं.
भरूच सीट से छह बार सांसद बने मनसुख वसावा ने बीते हफ़्ते प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नर्मदा ज़िले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज़ से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी अधिसूचना वापस लेने की मांग की थी. मंत्रालय के निर्णय का स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है.