चीन में कामगारों के बढ़ते वेतन और अमेरिका के साथ इसके ट्रेड वॉर के बाद कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने वहां से अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ्ट करने शुरू कर दिए थे, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद अप्रैल 2018 से लेकर अगस्त 2019 के बीच ऐसी कंपनियों में से सिर्फ तीन ही भारत आईं.
सरकार के पास कोई आइडिया नहीं है. वह हर आर्थिक फैसले को एक इवेंट के रूप में लॉन्च करती है. तमाशा होता है, उम्मीदें बंटती हैं और नतीजा ज़ीरो होता है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि 2जी घोटाले, कोल ब्लॉक आवंटन और वोडाफोन मामले में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विदेशी निवेशकों को डरा दिया है.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि हर वाइब्रेंट समिट में विदेशी निवेशकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. हर निवेश यह साबित करता है कि गुजरात ने अपनी छवि बरकरार रखी है.
अर्थशास्त्र का नियम है कि ज़्यादा निवेश, बढ़ी हुई जीडीपी का कारण बनता है, ऐसे में निवेश-जीडीपी अनुपात में कमी आने के बावजूद जीडीपी में बढ़ोतरी कैसे हो सकती है?
अनिल अंबानी समूह पर 45,000 करोड़ रुपये का कर्जा है. अगर आप किसान होते और पांच लाख का कर्जा होता तो सिस्टम आपको फांसी का फंदा पकड़ा देता. अनिल अंबानी राष्ट्रीय धरोहर हैं. ये लोग हमारी जीडीपी के ध्वजवाहक हैं. भारत की उद्यमिता की प्राणवायु हैं.
आज़ादी के 71 साल: सरकार यह महसूस नहीं करती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा पर किया गया सरकारी ख़र्च वास्तव में बट्टे-खाते का ख़र्च नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य के लिए किया गया निवेश है.
आज भी जब हम बच्चों को जंगल की कहानी सुनाते हैं तो उसमें पेड़, पौधे, घास, जानवर, शेर, शिकार, नदी, सब होता है पर जो नहीं होता वो है मनुष्य. जिसने सदियों से जंगल को उर्वर बनाए रखा, सहेजकर रखा और दोनों के बीच ऐसा तादात्म्य बनाया कि हिंदुस्तान की संस्कृति में इसे प्राथमिक स्थान मिला.
निजी निवेश अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और सुधार का भी कोई संकेत नहीं दिख रहा है.
किसी निवेश के भले-बुरे पर ज़ाहिर की गई राय को अडानी समूह द्वारा मानहानि कैसे समझा जा सकता है?
राहुल गांधी ने कहा, रोज़गार सृजन 8 साल, बैंक ऋण कारोबार 63 साल और नया निवेश 13 साल के निचले स्तर पर.
विशेष साक्षात्कार: पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा से मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, कृषि संकट और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.
जन गण मन की बात की 149वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था में नकद की वापसी और जवाहरलाल नेहरू पर चर्चा कर रहे हैं.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जनता से व्यापक विमर्श नहीं किया जाता. क्योंकि जब उनसे बात होगी तो वे बाढ़ नियंत्रण से जुड़े भ्रष्टाचार की शिकायतें भी करेंगे. अपनी उपेक्षा और दुख-दर्द भी विस्तार से बताएंगे लेकिन सरकारें ये नहीं सुनना चाहतीं.
एडीबी के मुताबिक निजी खपत, कारखानों के उत्पादन और कारोबारी निवेश कमजोर रहने की वजह से वृद्धि दर की गति कम रहने का अनुमान है.