दास कैपिटल के 150 साल: कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं इसकी

गुज़रे ज़माने की चीज़ क़रार दिए जाने के बाद भी न सिर्फ ‘दास कैपिटल’ बल्कि मार्क्स भी जीवित हो उठे हैं. इस बार उनका अवतार किसी धर्मशास्त्र या गुरु की तरह नहीं हुआ है, बल्कि पूंजीवाद के समकालीन संकट की व्याख्या करने के उपयोगी औज़ार के तौर पर हुआ है.

हम भी भारत, एपिसोड 01: छात्र राजनीति और देश

हम भी भारत की पहली कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी देश में छात्र राजनीति की दशा​-दिशा पर जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद, एबीवीपी की जाह्नवी ओझा और पत्रकार सृष्टि श्रीवास्तव से चर्चा कर रही हैं.

पश्चिम बंगाल सरकार क्यों दो समुदायों के बीच दरार पैदा कर रही है: कलकत्ता उच्च न्यायालय

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले महीने अधिसूचना जारी कर दुर्गा विसर्जन और मुहर्रम के लिए अलग-अलग दिन निर्धारित करने का आदेश दिया था.

बेरोज़गारी के कारण ही सत्ता में आए मोदी और ट्रंप: राहुल गांधी

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, लोगाें काे गले लगाना ही भारत की ताकत रही है, लेकिन देश सौहार्द्र बिगड़ने के ख़तरे का सामना कर रहा है.

वंचित समुदाय के मेधावी बच्चों के लिए बने आवासीय स्कूल मौत के कुएं क्यों बन रहे हैं?

आवासीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ यौन अत्याचार, शोषण और उनके मरने की घटनाएं आम हो चली हैं लेकिन मुख्यधारा में कहीं भी उनकी चर्चा नहीं है.

म्यांमार का बचाव करते हुए सू ची ने कहा, उनका देश अंतरराष्ट्रीय जांच से नहीं डरता

म्यांमार की स्टेट काउंसलर सू ची के बयान पर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि वह रोहिंग्या संकट पर आंखें मूंदे बैठी हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 120: मनमोहन सिंह और नितिन गडकरी

जन गण मन की बात की 120वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी व जीएसटी पर दिए गए मनमोहन सिंह के बयान और नितिन गडकरी के गंगा सफाई अभियान पर चर्चा कर रहे हैं.

स्कूलों में सुरक्षा उपायों की निगरानी के लिए समिति बनाएगी सरकार

स्कूलों में बढ़ते अपराधों के मद्देनज़र हुई बैठक में निर्भया फंड का उपयोग विद्यालयों की सुरक्षा में करने और स्कूल बसों में महिला ड्राइवर नियुक्त करने जैसे फैसले लिए गए.

मथुरा में 1.5 लाख के क़र्ज़दार किसान का एक पैसे का ऋण माफ़

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लघु एवं सीमांत किसानों के लिए फसल ऋण माफ़ी योजना शुरू की है, जिसके तहत एक लाख तक का क़र्ज माफ़ किया जाना है.

मृणाल पांडे के बचाव में ‘गधा विमर्श’ क्यों?

वैशाखनंदन शब्द की उत्पति पर दर्जनों पोस्ट लिखकर ‘गधा विमर्श’ का ऐसा माहौल बना दिया गया है गोया जो वैशाखनंदन न समझ पाए वो भी उन्हीं के उत्तराधिकारी हैं.

बिना नियमित चीफ जस्टिस के चल रहे हैं देश के छह हाईकोर्ट

केंद्र सरकार ने कॉलेजियम द्वारा छह महीने पहले चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी है. सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध की स्थिति से देश की विभिन्न अदालतों में 3 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.

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