सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया है कि देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से रोज़गार गंवाने वाले लाखों कामगारों के लिए जीने के अधिकार लागू कराने की आवश्यकता है. सरकार के 25 मार्च से 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये कामगार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते दिल्ली, हरियाणा जैसे कई राज्यों से जैसे-तैसे उत्तर प्रदेश तक पहुंचे बिहार के मज़दूरों को राज्य की सीमा पर रोक दिया गया था. आरोप है कि बिहार सरकार ने मज़दूरों के लिए जो दावे और वादे किए थे, वैसा कोई इंतज़ाम नहीं था. न प्रशासन की ओर से उनके खाने-पीने की व्यवस्था थी, न ही उनकी स्क्रीनिंग की.
केरल हाईकोर्ट ने कथित रूप से देशव्यापी लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के ख़िलाफ़ पुलिस ज़्यादती की कथित घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया है.
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण ट्राई के निर्देश पर बीएसएनएल, एमटीएनएल और एयरटेल ने प्रीपेड ग्राहकों की वैधता 20 अप्रैल तक बढ़ाने और 10 रुपये का अतिरिक्त टॉकटाइम देने की घोषणा की, जो प्रति उपभोक्ता कम खर्च करने वाले ग्राहकों के लिए सीमित होगी. इसका फायदा करीब आठ करोड़ ग्राहकों को होगा.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी नियोक्ता, चाहे वह उद्योग में हों या दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में, लॉकडाउन की अवधि में अपने श्रमिकों के वेतन का भुगतान बिना किसी कटौती के करेंगे.
सरकार द्वारा ग़रीबों की मदद के नाम पर स्वास्थ्य संबंधी मामूली घोषणाएं की गई हैं. हमें नहीं पता अगर कोई ग़रीब कोरोना से संक्रमित हुआ तो उसे उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी. अगर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई तो बेड और वेंटिलिटर जैसी सुविधाएं मिलेंगी?
कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ की वजह से लोगों को राहत देने के लिए श्रम मंत्रालय ने यह कदम उठाया है.
इन समितियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे कोरोना महामारी से विभिन्न क्षेत्रों में खड़ी हुई समस्याओं की पहचान कर उसका प्रभावी समाधान निकालेंगे.
देशभर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक स्थितियां उन लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेंगी, जो इस महामारी से तो शायद बच जाएंगे, लेकिन रोज़मर्रा की आवश्यक ज़रूरतों का पूरा न होना उनके लिए अलग मुश्किलें खड़ी करेगा.
कोच्चि के नज़दीक स्थित पेरुम्बवूर की घटना. मृतक महिला एर्नाकुलम ज़िले के कुरुप्पमपाड़ी की निवासी थीं. हत्या के संबंध एक प्रवासी मज़दूर को गिरफ़्तार किया गया है.
एनआरआई की तरह देश के अंदर यहां से वहां जाकर काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को भी प्रॉक्सी मताधिकार देने के सवाल पर क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि एनआरआई और प्रवासी मज़दूरों की तुलना नहीं की जा सकती. प्रवासी मज़दूर भारत में ही रहते हैं.