कोरोना वायरस से वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में डाक-मतपत्र के लिए मतदाताओं की आयु सीमा 80 साल से घटाकर 65 साल कर दी गई है. विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग बिना विमर्श चुनावी प्रक्रिया बदलने के लिए एकतरफ़ा क़दम उठा रहा है.
कोरोना वायरस को देखते हुए वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनज़र विधि मंत्रालय ने 19 जून को जारी संशोधन में 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को डाक मतपत्र के इस्तेमाल की अनुमति दी है. इससे पहले यह आयु सीमा 80 वर्ष थी.
चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि बिहार चुनाव को लेकर क़ानून मंत्रालय द्वारा चुनाव आयोग के प्रस्ताव को मंज़ूर करने के बाद चुनाव आचार संहिता 1961 के नियम 27 ए के तहत कोविड-19 संक्रमित या प्रभावित लोगों की एक नई श्रेणी बनाई गई है.
देश के आम नागरिक, गैर-दलीय राजनीतिक कार्यकर्ता, कांग्रेस सहित सामाजिक न्याय के पक्षधर क्षेत्रीय दल और वाम दल सभी चाहते हैं कि मिलकर संघर्ष किया जाए. वे इस बात के लिए तैयार हैं कि भाजपा की विखंडनकारी और तानाशाही प्रवृतियों के ख़िलाफ़ यह लड़ाई चुनावी मोर्चे के साथ राष्ट्र-निर्माण के लिए भी हो.
मेहसाणा में भाजपा की विजय संकल्प रैली में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि देश की जनता 23 मई को नरेंद्र भाई की जीत सुनिश्चित करेगी जिसके बाद पाकिस्तान में शोक मनाया जाएगा.
बिहार विधानसभा चुनाव के समय भी जीत की अनिश्चितता के चलते भाजपा नेताओं ने ऐसी ही चुनावी रणनीति अपनायी थी.