कृषि क़ानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने का आह्वान किया है. उत्तर प्रदेश से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि प्रशासन ने पेट्रोल पंपों को निर्देश दिया है कि परेड में शामिल हो रहे किसानों के ट्रैक्टरों के लिए तेल न दें.
यह अनुमति इस शर्त के साथ मिली है कि किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी के राजपथ पर निकलने वाली आधिकारिक परेड के बाद ही वे ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. परेड में दो लाख से अधिक ट्रैक्टरों के भाग लेने की उम्मीद है.
शुक्रवार रात सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने एक युवक को पकड़ा, जिसने दावा किया कि दो लड़कियों सहित कुल दस लोगों को आंदोलन और गणतंत्र दिवस पर होने वाले ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा भड़काने का काम दिया गया था. युवक ने यह भी कहा कि चार किसान नेताओं की हत्या की साज़िश रची गई है.
पिछले कई दौर की बातचीत के विपरीतइस बार अगली बैठक की कोई तारीख़ तय नहीं हुई है. केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के विरोध में लगभग दो महीने से हज़ारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका मानना है कि संबंधित क़ानून किसानों के ख़िलाफ़ और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में हैं.
किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के 18 महीनों के लिए कृषि क़ानून स्थगित रखने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए क़ानूनों को पूरी तरह रद्द करने और एमएसपी के लिए क़ानून बनाने की मुख्य मांगें दोहराई हैं. शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ क़रीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का आह्वान किया है. दिल्ली पुलिस चाहती है कि यह रैली दिल्ली के बाहर हो.
सरकार ने तीनों कृषि क़ानूनों को एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए निलंबित रखने और किसान संगठनों तथा सरकार के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित करने भी प्रस्ताव रखा. किसान संगठनों ने प्रस्ताव पर चर्चा करने पर सहमति जताई है.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर दर्ज केंद्र की याचिका पर सीजेआई एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ ने कोई भी निर्देश देने से इनकार करते हुए कहा कि यह पुलिस से जुड़ा मामला है और केंद्र के पास आदेश देने का अधिकार है.
किसान आंदोलन में शामिल कई लोगों को एनआईए का समन मिलने के बाद कांग्रेस और अकाली दल ने केंद्र की आलोचना की है. सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि जब खालसा एड ने गुजरात में सहायता की, तब सरकार को उसमें कुछ ग़लत नहीं लगा पर अब किसानों की मदद करने वालों के पीछे एनआईए लगा दिया गया.
मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को लेकर कहा था कि किसानों को पता नहीं है कि वे क्या चाहते हैं क्योंकि उनके पास कोई एजेंडा नहीं है. उन्हें विपक्षी दलों द्वारा अपने हितों को साधने के लिए भड़काया जा रहा है.
किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली या गणतंत्र दिवस समारोहों को बाधित करने की कोशिश करने के अन्य प्रदर्शनों पर रोक लगाने की केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह क़ानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और फ़ैसला लेने का पहला हक़ पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए.
शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए नेताओं ने कहा कि उन्होंने पहले ही भाजपा को चेतावनी दी थी कि वे किसान विरोधी कृषि क़ानून वापस लें, लेकिन ऐसा करने के बजाय उल्टा क़ानूनों का समर्थन करने को कहा गया.
पिछले कुछ दिनों में एनआईए द्वारा कम से कम 13 लोगों को नोटिस भेजा गया है. इनमें किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा, पंजाबी अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिंधू, पंजाब के एक टीवी पत्रकार जसबीर सिंह और कार्यकर्ता गुरप्रीत सिंह शामिल हैं.
किसान संगठनों ने कहा कि वे गतिरोध को दूर करने के लिए सीधी वार्ता जारी रखने को प्रतिबद्ध हैं. दूसरी ओर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नौवें दौर की वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका. उन्होंने उम्मीद जताई कि 19 जनवरी को होने वाली बैठक में किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकता है.
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान ने कहा कि समिति में उन्हें लेने के लिए वे सुप्रीम कोर्ट के शुक्रगुज़ार हैं लेकिन किसानों के हितों से समझौता न करने के लिए वे उन्हें मिले किसी भी पद को छोड़ने को तैयार हैं. मान ने यह भी कहा कि वे हमेशा पंजाब और किसानों के साथ हैं.