जन गण मन की बात की 93वीं कड़ी में विनोद दुआ राज्यसभा और चीन से युद्ध होने की संभावना और भारत के लिए इसके मायनों पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 92वीं कड़ी में विनोद दुआ भारत में पनामा पेपर मामले में जांच की स्थिति और भीड़ की हिंसा को लेकर पूर्व सैनिकों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर चर्चा कर रहे हैं.
भीड़ को राजनीति और सत्ता मिलकर पैदा करते हैं. उन्हें निर्देशित करते हैं. फिर भीड़ उनके नियंत्रण से भी बाहर निकल जाती है. वह किसी की नहीं सुनती.
जन गण मन की बात की 91वीं कड़ी में विनोद दुआ गोरखपुर दंगा मामले में योगी आदित्यनाथ को बचाने की यूपी सरकार की कोशिश पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 90वीं कड़ी में विनोद दुआ नीतीश कुमार के इस्तीफे और चीन से निपटने के लिए आरएसएस के मंत्र पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 89वीं कड़ी में विनोद दुआ भारतीय रेल से जुड़ी कैग की रिपोर्ट और किसानों की दुर्दशा पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 88वीं कड़ी में विनोद दुआ जेएनयू में टैंक रखवाने के विचार और पर्यावरण फंड में हेराफेरी पर चर्चा कर रहे हैं.
आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार का कहना है कि मंत्र जाप से न केवल चीन को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ेगी.
जन गण मन की बात की 87वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी से जीडीपी व रोज़गार के प्रभावित होने और शिक्षा क्षेत्र की दुर्दशा पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 86वीं कड़ी में विनोद दुआ कर्नाटक झंडा विवाद और आईपीएस अधिकारी डी. रूपा के तबादले पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 85वीं कड़ी में विनोद दुआ अडानी समूह के ख़िलाफ़ रिपोर्ट करने के बाद ईपीडब्ल्यू के संपादक प्रंजॉय गुहा ठाकुरता के इस्तीफ़े और निजता के अधिकार पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 84वीं कड़ी में विनोद दुआ देश के अब तक के राष्ट्रपतियों और युवा नेताओं पर चर्चा कर रहे हैं.
चीन के साथ कारोबारी रिश्तों को सरकार और अर्थव्यवस्था की कामयाबी के रूप में पेश किया जाता है लेकिन जब कभी दोनों देशों में विवाद होता है तब लड़ियों-फुलझड़ियों का विरोध शुरू हो जाता है.
जन गण मन की बात की 83वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचे हुए कार्यकाल और बेराज़गारी की समस्या पर चर्चा कर रहे हैं.
अगर नरेंद्र मोदी भूटान पर पड़ रहे दवाब को कम करके चीन द्वारा पेश किए जा रहे क़ानूनी तर्कों पर ध्यान लगाएं, तो वे ख़ुद को भारत-चीन सीमा विवाद को जल्दी सुलझाने की स्थिति में पाएंगे.